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(38) आज इस नगरी कल उस नगरी!

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पंकज खन्ना  9424810575   रेल संगीत-परिचय : ब्लॉग सीरीज को अच्छे से जानने के लिए। ब्लैक एंड व्हाइट फिल्में और गाने क्यों देखें या सुनें!? रेल संगीत पर अब तक लिखे गए लेख क्रमानुसार।                               आज इस नगरी कल उस नगरी। गाना:  आज इस नगरी कल उस नगरी  । फिल्म: (नया ज़माना) (1957)। गायक: रफी और साथी। गीतकार: प्रेम धवन। संगीतकार: कनु घोष। परदे पर: प्रदीप कुमार, माला सिन्हा और अन्य। फिल्म नया ज़माना के गाने।   प्रेम धवन द्वारा लिखित गीत: आज इस नगरी कल उस नगरी,धुएं की गाड़ी उड़ाये लिये जाये। आज इस नगरी कल उस नगरी,धुएं की गाड़ी उड़ाये लिये जाये। है कैसा गजब ये ढाए मोरे रामा सजनी से साजन छुड़ाए लिए जाए। धुएं की गाड़ी उड़ाये लिये जाये। आज इस नगरी कल उस नगरी,धुएं की गाड़ी उड़ाये लिये जाये । आज इस नगरी कल उस नगरी, धुएं की गाड़ी उड़ाये लिये जाये। बैरन गाड़ी उड़ती जाए मन को चैन ना आए। साजन के मन को चैन ना आए, है अपने पिया से दूर सजनिया छमछम नीर बहाए। नैनन का कजरा हाथन का ...

क्यों देखें या सुने ब्लैक एंड व्हाइट गाने?

पंकज खन्ना ( 9424810575) रेल संगीत-परिचय : ब्लॉग सीरीज को अच्छे से जानने के लिए। ब्लैक एंड व्हाइट फिल्में और गाने क्यों देखें या सुनें!? रेल संगीत पर अब तक लिखे गए लेख क्रमानुसार।                               (सांकेतिक फोटो) ब्लैक एंड व्हाइट फिल्मों और गानों से लोग दूर भागते हैं। नौजवान पीढ़ी में अपवादों को छोड़कर कोई भी इतने पुराने गानों या फिल्मों या स्टीम इंजन वाली रेलों को पसंद नहीं करता। और तो और हमारी पीढ़ी के भी कई लोग ये सब झेल नहीं पाते हैं। सफेद-काली फिल्में या गाने न देखने-सुनने के पीछे उनका उत्तर बड़ा आसान होता है! दोयम दरजे की रिकॉर्डिंग, रंगों, तकनीक, संसाधनों का अभाव, अपरिचित कलाकार, धीमा संगीत, कभी-कभी अस्पष्ट संगीत, पूरे कपड़े पहने हीरोइन, बचकाना हास्य आदि। और एक बात जो कुछ लोग बोलते नहीं हैं पर हम समझ सकते हैं:  इस शौक से रईसी कैसे झाड़ें!?  और बहुत सारे लोग पूछ बैठते हैं कि क्यों देखें सफेद काले गाने जब रंगीन विकल्प उपलब्ध है? इस लेख में इसका उत्तर देने की ईमानदार कोशिश की है। पहले क...