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रेल संगीत का पहला पड़ाव (1941-1959): सार

पंकज खन्ना  9424810575 22/12/2024   रेल संगीत-परिचय : ब्लॉग सीरीज को अच्छे से जानने के लिए। रेल संगीत पर अब तक लिखे गए लेख क्रमानुसार। ब्लैक एंड व्हाइट फिल्में और गाने क्यों देखें या सुनें!? दोस्तों/पाठकों द्वारा पूछे गए प्रश्न और उनके उत्तर। इंदौर के SGSITS का रहस्यमई स्टीम इंजिन: बावा! जब रेल संगीत पर लिखना शुरू किया था तो इस अज्ञानी को लगा था कि रेल पर शायद अधिक से अधिक 50-60 गाने होंगे। लेकिन शोध के साथ गानों की संख्या लगातार बढ़ती गई। अब तक लगभग 180 रेल गीतों की सूची बन चुकी है। और ये संख्या कहां जा कर रुकेगी? पता नहीं। गानों की लिस्ट नहीं हुई, हनुमान जी की पूंछ हो गई! रेल संगीत के पहले पड़ाव में 1940 और 1950 के दशकों में बनी हिंदी फिल्मों के इन गानों से हमें क्या मिला!? एक अनूठे, अकेले, इतिहास के बोझ में दशकों से दबे   बावा  ( हमारे कॉलेज SGSITS Indore का Industrial Steam Engine 🚂!) और 43 उम्दा रेल गीत!!  बावा   और इन सभी 43 गानों और के बारे में विस्तृत चर्चा की जा चुकी है। अब थोड़ा सा रुकते हैं और अभी तक की गई रेल यात्रा को स्मरण करते हैं...

अब तक रेल संगीत पर लिखे गए लेख क्रमानुसार।

  पंकज खन्ना  9424810575   रेल संगीत-परिचय : ब्लॉग सीरीज को अच्छे से जानने के लिए। ब्लैक एंड व्हाइट फिल्में और गाने क्यों देखें या सुनें!? रेल संगीत पर अब तक लिखे गए लेख क्रमानुसार। दोस्तों/पाठकों द्वारा पूछे गए प्रश्न और उनके उत्तर। इंदौर के एस जी एस आई टी एस का रहस्यमई इंजिन। चालीस के दशक के गाने: (1)  आई बहार आज आई बहार   फिल्म: डॉक्टर(1941)। हिंदी फिल्मों का संभवतः पहला रेलगीत । हीरो, गायक और संगीतकार: पंकज मलिक। गीतकार:आरजू लखनवी । परदे पर: पंकज मलिक। (2)  चले पवन की चाल  । फिल्म: डॉक्टर (1941)। पहला  घोड़ा छाप  रेलगीत। हीरो, गायक और संगीतकार: पंकज मलिक। गीतकार: प्रदीप। परदे पर: पंकज मलिक। (3)   ये दुनिया तूफान मे ल (1942): फिल्म: जवाब ( पहला गीत जिसमें रेल का नाम आए।) गायिका और हीरोइन: कानन देवी।  हीरो : प्रथमेश बरुआ। गीतकार: पंडित मधुर।  संगीतकार: कमल दास गुप्ता। परदे पर: कानन देवी। (4) ये रेल हमारी घर की  फिल्म: स्टेशन मास्टर(1942)। बच्चों और हीरोइन द्वारा बनाई गई मानव रेल । गायक और हीरो: प्रेम अदीब।...

रेल संगीत: दोस्तों/पाठकों के प्रश्न और उनके उत्तर

पंकज खन्ना  9424810575 7/12/2024   रेल संगीत-परिचय : ब्लॉग सीरीज को अच्छे से जानने के लिए। ब्लैक एंड व्हाइट फिल्में और गाने क्यों देखें या सुनें!? रेल संगीत पर अब तक लिखे गए लेख क्रमानुसार। दोस्तों/पाठकों द्वारा पूछे गए प्रश्न और उनके उत्तर। इंदौर के एस जी एस आई टी एस का रहस्यमई इंजिन। जब से रेल संगीत पर ब्लॉग लिखना शुरू किया है तो काफी सारे प्रश्न पूछे जा रहे हैं। पूछे गए प्रश्नों के उत्तर नीचे दिए हैं: (1) आज के जमाने में क्यों Black and White फिल्में/गाने देखें या सुनें? उत्तर: इसका विस्तृत उत्तर ब्लॉग के शुरू में ही दे रखा है। वही लिंक यहां भी लगा दिया है। पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें। (2) रेल संगीत पर एक पुस्तक ही क्यों प्रकाशित नहीं करवा देते? बार-बार ब्लॉग कौन देखेगा? उत्तर: ब्लॉग लिखने के और पुस्तक न लिखने के पीछे तीन कारण हैं। पहला कारण :  आज इतनी अधिक किताबों के लिखे जाने के पीछे की प्रथम मंशा प्रसिद्ध होने की है। अक्सर हम अपने काम को पसंद नहीं करते हैं; लेकिन एक लेखक, कवि, चित्रकार या अन्य किसी भी कारण से प्रसिद्ध होना चाहते हैं। यदि आप किसी काम को सचमुच पसंद क...

(43) ये बॉम्बे शहर का बड़ा नाम है।

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पंकज खन्ना  9424810575   रेल संगीत-परिचय : ब्लॉग सीरीज को अच्छे से जानने के लिए। ब्लैक एंड व्हाइट फिल्में और गाने क्यों देखें या सुनें!? रेल संगीत पर अब तक लिखे गए लेख क्रमानुसार।                   ये बॉम्बे शहर का बड़ा नाम है गाना :  ये बॉम्बे शहर का बड़ा नाम है । फिल्म : क्या ये बॉम्बे है (1959)। गायक : मोहम्मद रफ़ी। गीत -नूर देवासी। संगीतकार : बिपिन दत्ता। हीरो : मारुति। हीरोइन : निशी कोहली। परदे पर : मारुती, एक अज्ञात सह-कलाकार, बंबई की सड़कें, बिल्डिंग्स, बस और लोकल ट्रेन आदि।  (पहले फिल्म का नाम रखा गया था- ये बंबई है। बाद में इस फिल्म का नाम रख दिया गया- क्या ये बंबई है?) ये  एक कम बजट वाली फिल्म थी जिसमें कम प्रसिद्ध  और लगभग अनजान कलाकारों ने काम किया। दर्शकों को बिल्कुल प्रभावित नहीं कर पाई और उसका वही हाल हुआ जो अक्सर B/C ग्रेड की अधिकतम फिल्मों के साथ होता है। फिल्म पिट गई। आज का गाना भी कोई हिट गाना नहीं रहा। लेकिन फिर भी कभी-कभी याद कर लिया जाता है। सिर्फ इसलिए कि इसे मोहम्मद रफी ने गाय...

(42) है अपना दिल तो आवारा (1958)

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पंकज खन्ना  9424810575   रेल संगीत-परिचय : ब्लॉग सीरीज को अच्छे से जानने के लिए। ब्लैक एंड व्हाइट फिल्में और गाने क्यों देखें या सुनें!? रेल संगीत पर अब तक लिखे गए लेख क्रमानुसार।               है अपना दिल तो आवारा। गाना:  है अपना  दिल तो आवारा ।  फिल्म :  सोलहवां साल  (1958)। गायक : हेमंत कुमार। हीरो : देव आनंद। हीरोईन : वहीदा रहमान।  गीतकार : मजरूह सुल्तानपुरी। संगीतकार :एसडी बर्मन। निर्देशक : राज खोसला। परदे पर: देव आनंद, वहीदा रहमान, सुंदर, जगदेव और बंबई की ऐतिहासिक लोकल ट्रेन। (यह गीत 1958 के बिनाका गीतमाला फाइनल में पहले स्थान पर रहा था।)      जब भी रेल गीतों की बात होती है तो ये गीत लगभग सभी संगीत प्रेमियों और रेल प्रेमियों के जेहन में आ ही जाता है। अधिकतर दोस्त इस गाने और 'मेरे सपनों की रानी' का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। तो आज  इस गाने का नंबर आ ही गया है, 40 रेल गीतों के लिखे जाने के बाद! अब आप ही सोचिए 'मेरे सपनों की रानी' का नंबर कब आएगा! (लगभग 85 रेल गीतों के बाद!)...