(44) आज सुनो हम गीत विदा का गा रहे।

 पंकज खन्ना 

9424810575

November 2,2024

 



        
         आज सुनो हम गीत विदा का गा रहे।



गानाआज सुनो हम गीत विदा का गा रहे (ऑडियो)। फिल्म: स्कूल  मास्टर (1959)। गायक: प्रदीप। गीतकार:प्रदीप। संगीतकार: वसंत देसाई। परदे पर : करन दीवान, शकीला और अन्य साथी कलाकार।

आज सुनो हम गीत विदा का गा रहे। (वीडियो। इस वीडियो में गाने के पहले की पांच मिनट की फिल्म भी दिखाई गई है जिसे देखने से गाना अच्छे से समझ आएगा।)

आज सुनो हम गीत विदा का गा रहे। (भजन गायक प्रकाश गोसाई की आवाज़ में अंग्रेजी कमेंट्री के साथ)




आज समझते हैं एक अद्भुत लेकिन कम पहचाने रेल गीत, पंछी गीत और विदाई गीत को। पहले कवि प्रदीप के लिखे और गाए इस गीत के साहित्यिक बोल पढ़ लीजिए।


आज सुनो हम गीत विदा का गा रहे।
दो दुखियारे पंछी बिछडे जा रहे।

बहुत दिनों के साथी हाय जुदा होते।
गुम सुम अँखड़ियों में आंसू आ रहे।

कोई मत पूछो कौन हैं ये क्यों रोते हैं।
इस जग में ऐसे भी अभागे होते हैं।

लुट गए फिर भी दिल का दर्द छिपा रहे।
दो दुखियारे पंछी बिछडे जा रहे।
आज सुनो हम गीत विदा का गा रहे।
दो दुखियारे पंछी बिछडे जा रहे

इस गीत में दिखाया गया है कि दो परिवार बंट गए हैं और एक दूसरे से दूर जा रहे हैं। गाने में  एक दोराहा दिखाया गया है। एक शाहपुर के लिए निकलता है  और दूसरा बीना के लिए जो परिवार के गांव से 120 मिल दूर है। 

 


एक रास्ते से परिवार का एक हिस्सा तांगे से और दूसरे रास्ते से  मोटर कार में परिवार का दूसरा हिस्सा जाते दिखाए गए हैं। परिवार के सदस्यों को उदासी के साथ रेल की खिड़कियों पर बैठा दिखाया गया है।आप तो पहले ही रेल संगीत के ब्लॉग पोस्ट्स में देख चुके हैं कि ये रेल की खिड़कियाँ उदासी, मस्ती और सिसकियां सभी कुछ दर्शाती हैं।

इस गाने में काफी उदासी है। पृष्ठभूमि ( बैकग्राउंड) में ये विदाई गीत बजता रहता है। ब्लैक एंड वाइट में रेल के  नदी, पुल और जंगल पार करते हुए दिखाए गए लॉन्ग शॉट्स  मनमोहक और दर्शनीय हैं जो उदासी को एक हद तक कम कर देते हैं।

विदाई पर हिंदी फिल्मों में बहुत सारे सारगर्भित और करुण गाने मधुर संगीत में बने हैं। ये  रेलगीत और पंछी गीत होने के साथ एक विदाई गीत भी है लेकिन अधिक प्रसिद्ध नहीं है। प्रदीप के लिखे और गाए अन्य गीतों के तुलना में काफी कम सुना जाता है। प्रदीप द्वारा लिखे इस गाने के  बोलों और वसंत देसाई द्वारा रचित  संगीत में कुछ भी कमी नहीं है। लेकिन संक्षेप में, बात सिर्फ इतनी सी है कि ये गीत लोकप्रिय नहीं है!  

अधिकतर लोग कई बार गीत और संगीत की खूबसूरती पहचान नहीं पाते हैं। और इस कारण कई बहुत अच्छे गीत भी लोकप्रिय नहीं हो पाते हैं। ये गीत भी इसी श्रेणी में आता है।

लोकप्रियता किसी गाने की उत्कृष्टता का पैमाना नहीं होना चाहिए। लेकिन लोकप्रियता एक बहुत बड़ा पैमाना है जिसपर ये गीत खरा नहीं उतरता है। आपको लोकप्रियता से क्या? अच्छा गाना है, जरूर देखें और सुनें! कवि प्रदीप और वसंत देसाई की इस रचना को समझें और सराहें।

गायक और कवि प्रदीप के लिखे या गाए अन्य रेल गीतों पर निम्नलिखित ब्लॉग पोस्ट लिखी गई हैं:

(2) चले पवन की चाल । फिल्म: डॉक्टर (1941)। पहला घोड़ा छाप रेलगीत। हीरो, गायक और संगीतकार: पंकज मलिक। गीतकार: प्रदीप। 

(26) आओ बच्चों तुम्हें दिखाएं झांकी हिंदुस्तान की

फिल्म: जागृति (1954)। देशभक्ति, पर्यटन, बाल और रेल गीत।गायक और गीतकार: प्रदीप। संगीतकार: हेमंत कुमार। 

(27) देख तेरे संसार की हालत (1954)। फिल्म: नास्तिक(1954)। विभाजन की त्रासदी पर हृदय विदारक रेल गीत। गीतकार और गायक: कवि प्रदीप। संगीत: सी रामचंद्र। 

संगीतकार वसंत देसाई का संभवतः ये पहला रेल गीत है। और उन्होंने कमाल का संगीत इस गीत में भी दिया है जैसा कि उन्होंने हमेशा अपने अन्य गानों में दिया है। 

वसंत देसाई के संगीत की गहराई को समझने के लिए इसी  फिल्म स्कूल मास्टर के अन्य गाने भी सुनकर देखें:

(1) ओ दिलबर बोलो इक बार। लता और तलत। अप्रत्यक्ष रूप से ये भी एक रेल गीत है जिसपर  अलग से एक ब्लॉग पोस्ट  में  लिखा जा रहा है।
(2) आओ बहन भाई आज घड़ी आई। ललिता, इंदु, सरला।
(4) तार तार बज रहा दिल के सुर। लता, मन्ना डे।
(6) एक दो तीन गिन भाई गिन। आरती मुखर्जी।



संभवतः ये गीत पचास के दशक का अंतिम रेल गीत है। तो रेल संगीत के पहले पड़ाव ( चालीस और पचास के दशक के रेल गीत) के लिए बिल्कुल कहा जा सकता है : आज सुनो हम गीत विदा का गा रहे



पंकज खन्ना
9424810575

मेरे कुछ अन्य ब्लॉग:

हिन्दी में:

तवा संगीत : ग्रामोफोन का संगीत और कुछ किस्सागोई।
ईक्षक इंदौरी: इंदौर के पर्यटक स्थल। (लेखन जारी है।)

अंग्रेजी में:

Love Thy Numbers : गणित में रुचि रखने वालों के लिए।
Epeolatry: अंग्रेजी भाषा में रुचि रखने वालों के लिए।
CAT-a-LOG: CAT-IIM कोचिंग।छात्र और पालक सभी पढ़ें।
Corruption in Oil Companies: HPCL के बारे में जहां 1984 से 2007 तक काम किया।


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