(13) जवानी की रेल चली जाए रे (1947) शहनाई
पंकज खन्ना
9424810575
जवानी की रेल चली जाए रे।
गाना: जवानी की रेल चली जाए रे। फिल्म: शहनाई (1947)। निर्देशक और गीतकार: पी एल संतोषी। संगीत: सी रामचंद्र। गायक कलाकार: गीता दत्त, लता मंगेशकर और चितलकर (सी रामचंद्र)। (यह गीत नासिर खान, रेहाना, दुलारी, इंदुमती और कुमकुम आदि पर फिल्माया गया है।)
इस फिल्म की सबसे बड़ी बात ये है की ये 15 अगस्त 1947 को रिलीज हुई थी। वो भी क्या दिन होगा जब एक तरफ भारत आजाद हुआ होगा, चारों तरफ हर्ष और उल्लास का माहौल होगा, शहनाइयां बज रही होंगी और सिने प्रेमी लंबी-लंबी कतारें लगाकर पी एल संतोषी और सी रामचंद्र की 'शहनाई' देखने और सुनने के लिए आतुर होंगे!
दूसरी बड़ी बात है इस फिल्म का जानदार-शानदार संगीत। सबसे पहले ये वाली गजब फिल्म शहनाई के अन्य कातिल गाने सुन लेते हैं। रेलगीत बाद में सुन लेंगे।
फिल्म इस गाने के साथ शुरू होती है: छुक छुक छैंया छैंया। ( गायिकाएं: बीणा पाणी मुखर्जी, मीना कपूर और मोहनतारा) । रेल प्रेमियों, ये शब्द 'छुक छुक छैंया छैंया' सुनकर आप ज्यादा खुश मत होइए! ये रेलगीत नहीं है!
अरे-अरे, ज्यादा दुखी भी मत हो जाइए! बहुत ही मीठा गीत है। आखिर इसमें सी रामचंद्र का संगीत है! पी एल संतोषी जैसे काबिल गीतकार ने लिखा है और इस गाने का फिल्मांकन भी अति सुंदर है। चार हीरोइन कपड़े धोते-धोते अठखेलियां कर रही हैं। जरूर देखें: छुक छुक छैंया छैंया। और आप चाहें तो इसका ऑडियो रेल यात्राओं के दौरान भी सुन सकते हैं! लगेगा रेल यात्रा कर रहे हैं!
इसी फिल्म का गाना आना मेरी जान संडे के संडे मीना कपूर ( संगीतकार अनिल बिस्वास की पत्नी) , चितलकर और शमशाद बेगम की आवाज़ में बहुत अधिक प्रसिद्ध हुआ था। और इस गाने के दो वर्शन थे। पहला मुमताज अली ( कॉमेडियन महमूद के पिता) और दुलारी पर फिल्माया गया था। दूसरा वर्शन मुमताज अली और रेहाना पर फिल्माया गया था। यह गाना आज भी बहुत चलता है क्योंकि ये अपने वक्त से बहुत आगे का गीत था। ये कह सकते हैं कि ये पहला हिंदी फिल्मी गीत था जो पूरी तरह से पाश्चात्य संगीत से प्रभावित था। उस जमाने में कुछ तबकों ने इसे अश्लील गीत भी घोषित कर दिया था! बोल!!
और एक जानलेवा गाना इसी फिल्म शहनाई से: हमें क्या पता था कि दिल की कली को मसल देंगे वो....मारे कटारी मार जाना। हमारी सोच से अमीरबाई कर्नाटकी का गाया ये सर्वोत्तम गीत है। और शायद पी एल संतोषी का भी लिखा सर्वश्रेष्ठ गीत है । बस लिखते जा रहे हैं और यही गाना सुनते जा रहे हैं!
इन तीन महान गीतों की प्रसिद्धि में ये रेलगीत ( जवानी की रेल चली जाए रे। ) थोड़ा उपेक्षित रह गया। लेकिन ये रेल गीत भी बड़ा मधुर है। इसमें नकली रेल और असली रेल का सुंदर मिश्रण है। इस गाने में एक हीरो नासिर खान के साथ चार हीरोइन (रेहाना, इंदुमती, कुमकुम और दुलारी) दिखाई गई हैं।
सबसे पहले नकली ट्रेन से रेहाना उतरती हैं और मनमोहक अदाओं के साथ नृत्य करती हैं। फिर बारी-बारी से बाकी तीनों भी जलवा बिखेरती नमूदार होती हैं और गाने और रेल को आगे बड़ाती हैं।
इस गाने का सार यही है कि 'जवानी' रेल की गति से भी तेज भाग रही है। संदेश सिर्फ यही है कि जवानी को अच्छे से जी लिया जाए।
अब अंत में आज के गाने (जवानी की रेल चली जाए रे। ) के बोल पढ़ लेते हैं:
जवानी की रेल की अनोखी कहानी। इश्क आग और आंखों का पानी। जवानी की रेल की अनोखी कहानी। इश्क आग और आंखों का पानी।
अजी आहों का, अजी आहों का धुआं उड़ाए रे। अजी आहों का धुआं उड़ाए रे।
जवानी की रेल चली जाए रे। जवानी की रेल चली जाए रे।
आंखों का अजी आंखों का अजी आंखों का सिग्नल जो पाए रे। अजी आंखों का सिग्नल जो पाए रे। ये चली ये चली ये चली जाए रे। जवानी की रेल चली जाए रे। जवानी की रेल चली जाए रे।
बचपन से निकले बुढ़ापे को जाए। बचपन से निकले बुढ़ापे को जाए।
दुनिया को अजी दुनिया को अजी दुनिया को पागल बनाए रे। अजी दुनिया को अजी दुनिया को पागल बनाए रे। ये चली ये चली ये चली जाए रे। जवानी की रेल चली जाए रे। जवानी की रेल चली जाए रे।
दौड़ो दौड़ो मुसाफिर झंडी दिखादी हरी झंडी दिखादी।
चुके जो वो पछताए रे, चुके जो वो पछताए रे।