(14) चले चक-चक चक-चक रेल (1948)
पंकज खन्ना
9424810575
गाना: चले चक-चक चक-चक रेल। फिल्म: मेरा मुन्ना (1948)। गायिका: ललिता देऊलकर और एक अन्य अज्ञात गायिका। गीतकार: कमर जलालाबादी। संगीतकार: सी रामचंद्र।
आज का रेल गीत एक बाल गीत भी है और हास्य गीत भी है। इस गीत में शायद एक आवाज तो संभवतः ललिता देऊलकर की है। और दूसरी आवाज़ पता नहीं किसकी है। दो बच्चे इस गाने को गा रहे हैं। इसका ऑडियो उपलब्ध है पर इसका Video नहीं मिला। जब मिलेगा तो यहां लगा देंगे। इसके ऑडियो से ये बात तो एकदम स्पष्ट है कि ये एक रेल गीत है। चले चक-चक चक-चक रेल।
गाने के बोल:
चले चक-चक चक-चक रेल।चले चक-चक चक-चक रेल।
चलो जी जरा बंबई चलें। हां बंबई चलें। चले चक-चक चक-चक रेल।
चलो जी जरा बंबई चलें। हां बंबई चलें।
लगे इसमें न पानी न तेल। लगे इसमें न पानी न तेल।
चलो जी जरा बंबई चलें। हां बंबई चलें।
हमने बापू की घंटी चुराई। हमने बापू की घंटी चुराई।
मां के आंचल के झंडे बनाई। मां के आंचल के झंडे बनाई।
हमने घर में बनाई है रेल। हमने घर में बनाई है रेल।
चलो जी जरा बंबई चलें। हां बंबई चलें।
चले चक-चक चक-चक रेल।
चलो जी जरा बंबई चलें। हां बंबई चलें।
बापू लायेंगे जा कर लंगोटी।
बापू लायेंगे जा कर लंगोटी।
माता लायेंगे सूते की धोती। माता लायेंगे सूते की धोती।
हम खिलौनों से भर लेंगे रेल। हम खिलौनों से भर लेंगे रेल।
चलो जी जरा बंबई चलें। हां बंबई चलें।
चले चक-चक चक-चक रेल।
चलो जी जरा बंबई चलें। हां बंबई चलें।
मेरे चाचाजी बंबई से आयेंगे। मेरे चाचाजी बंबई से आयेंगे।
घोड़ा लायेंगे। टमटम भी लायेंगे।
घोड़ा लायेंगे। टमटम भी लायेंगे।
लायेंगे तोता मैना का खेल।
लायेंगे तोता मैना का खेल।
चलो जी जरा बंबई चलें। हां बंबई चलें।
चले चक-चक चक-चक रेल।
चलो जी जरा बंबई चलें। हां बंबई चलें।
लगे इसमें न पानी न तेल।
चलो जी जरा बंबई चलें। हां बंबई चलें।
दो बच्चे इस गाने को गा रहे हैं। लंबी-लंबी फेंक रहे हैं! कभी बंबई जाने की बातें करते हैं और कभी कहते हैं: मेरे चाचाजी बंबई से आयेंगे। घोड़ा और टमटम लायेंगे। बड़ा प्यारा गाना है! इस गाने का वीडियो मिल जाता तो मजा ही आ जाता!
इस गाने के संगीतकार हैं सी रामचंद्र। इनके रेल गीतों की लिस्ट तो काफी लंबी है। इनकी तारीफ पहले भी की जा चुकी है। इनके बारे में अच्छे से बातें करेंगे इनके एक अन्य रेल गीत के साथ।
आज इस गाने के गुणी गीतकार कमर जलालाबादी की बात कर लेते हैं। इन्होंने भी काफी सारे रेल गीत लिखे हैं।
(ओमप्रकाश भंडारी उर्फ कमर जलालबादी)
ओम प्रकाश भंडारी (1917-2003) जिन्हें क़मर जलालाबादी के नाम से जाना जाता है , एक भारतीय कवि और हिंदी फ़िल्मों के गीतकार थे। बचपन में किसी कवि ने इन्हें कमर ( चंद्रमा) उपनाम दे दिया। जलालाबाद में पैदा हुए थे इसलिए इनका नाम हो गया कमर जलालाबादी!
फिल्म जगत से आकर्षित होकर, कमर जलालाबादी 1940 के दशक की शुरुआत में अमृतसर से पूना आ गए। सन 1942 में अपनी पहली फिल्म जमींदार के लिए गीत लिखे। उनका लिखा शमशाद बेगम द्वारा गाया गीत 'दुनिया में गरीबों को आराम नहीं मिलता' काफी प्रसिद्ध हुआ था।
इसके बाद जलालाबादी बंबई चले गए और वहां करीब चार दशक तक गीतकार के तौर पर काम किया। कमर जलालाबादी ने अपने लंबे करियर में कुल मिलाकर 156 फिल्मों के लिए 700 से अधिक गाने लिखे। उनके कुछ यादगार मधुर गीत प्रस्तुत हैं:
(1) सुनती नहीं दुनिया कभी फरियाद किसी (रेणुका-1947)
इस गीत को अनु मलिक के पिता सरदार मालिक ने स्वयं के संगीत में गाया है।
(2) दिल किस के लिए रोता है... प्यार की दुनिया में, ऐसा ही होता है (मुलाकात 1947)। गायिका: नसीम बानो। संगीतकार: खेमचंद प्रकाश।
(3) सुन मेरी सांवरी मुझको कहीं तुम भूल न जाना (आंसू 1953)। गायक :रफी। गायिका: लता। संगीतकार: हुसनलाल भगतराम।
(4) खुश है ज़माना आज पहली तारीख है ( पहली तारीख 1954)। गायक: किशोर कुमार। संगीतकार: सुधीर फड़के।
(5) मेरा नाम चिन चिन चू (हावड़ा ब्रिज 1958) गायिका: गीता दत्त। संगीतकार: ओपी नैय्यर।
(6) आइए मेहरबान, बैठिए जानेजां (हावड़ा ब्रिज 1958) गायिका: आशा भोंसले। संगीतकार: ओपी नैय्यर।)
(कमर जलालबादी के और गाने सुनने की लिए यहां क्लिक कर सकतें हैं!)
फिल्म मेरा मुन्ना (1948) के अन्य गानों के लिंक नीचे दिए हैं। सभी गाने ललिता देऊलकर ( संगीतकार सुधीर फड़के की पत्नी) के गाए हुए हैं और बहुत श्रवणीय हैं।
(i) आई प्रीत की पहली रात। गायिका: ललिता देउलकर।
(ii)प्यार की पहली सुबह सुहानी।गायिका: ललिता देउलकर।
(iii) आई हूं मैं प्यार भरे दिल को। गायिका: ललिता देउलकर।
(iv) तुम हम पे हंसो न पिया। ललिता देउलकर और मुकेश।
(v) गुड नाईट है बात जुदाई की। गायिका: ललिता देउलकर।
आज के गाने में रेल का संगीत तो है लेकिन रेल नहीं दिखाई पड़ रही है। रेल का कोटा पूरा करने के लिए आज देखते हैं एक छोटी सी डॉक्यूमेंट्री : रेल का इतिहास । इसमें रेल का इतिहास 600 BC से शुरू किया है और आज तक के रेल विकास को भी दिखाया है। और ये सब दिखाया है छः मिनट से भी कम के वीडियो में। हर रेल प्रेमी को इसे देखना ही चाहिए।
पंकज खन्ना