(21) रेल में जिया मोरा सन् नन् होए रे।(1950)
आज का गीत है रेल में जिया मोरा सन नन होए रे! फिल्म का नाम है आंखें (1950)। आज तक आंखें नाम की चार फिल्में आ चुकी हैं। ये वाली 'आंखें' सबसे पहले आई थी। इन फिल्म वालों की आदत हो गई है हम लोगों को आंखें दिखाने की!
गायक कलाकार हैं राज खोसला। उन्होंने बहुत बढ़िया गाया है ये गीत। जी, ये वही राज खोसला हैं जो जाने माने निर्माता निर्देशक हैं। आए तो ये गायक बनने ही थे पर बन गए निर्माता निर्देशक!
इसका उत्तम संगीत दिया है मदन मोहन ने। ये मदन मोहन की पहली फिल्म थी। जानते हैं उनके असिस्टेंट कौन थे!? राज खोसला! बाद में राज खोसला की अधिकतर फिल्मों में संगीत मदनमोहन का ही होता था! (वैसे मदन मोहन ने स्वयं तो गिने-चुने 8-10 गाने ही गाएं है पर इसी पहली फिल्म में शमशाद बेगम के साथ एक बहुत बढ़िया युगल गीत गाया है: हमसे न दिल को लगाना मुसाफिर।)
'रेल में जिया मोरा सन नन होए रे' के गीतकार हैं बी डी मिश्रा।
गाने के शुरू में रेल के चलने का और सीटी का मधुर संयोजन है। और फिर हंसी, मजाक, मौज मस्ती तो है ही इस गाने में।
गीत के बोल :
रेल में जिया मोरा सन नन होये रे।
रेल में बैठे नैनों के मारे
रेल में हाय मरा हाय मरा होये रे।
रेल में बैठे लोग खिलाड़ी
रेल में तिग्गा चौका पंजा छक्का होये रे।
रेल में बैठे लोग पंजाबी
रेल में हल्ला गुल्ला हल्ला गुल्ला होये रे।
रेल में बैथे बनारसी चौबे
रेल में पुरी हलवा पुरी हलवा होये रे।
रेल में बैठे लोग बंगाली
रेल में रशोगुल्ला रशोगुल्ला होये रे।
रेल में जिया मोरा सन नन होये।
ये अपने आप में एक अनोखा गीत है। इसमें रेल से चलने वाले विभिन्न प्रकार के यात्रियों का जीवन्त चित्रण है। रेल में बैठने के बाद होने वाले सुख-दुख का बड़ा मनोरंजक विवरण है इस कोरस में। इस गीत से पता नहीं कितने पिकनिक गीत बन गए। पर ये ही है असली मौलिक गीत। आप कभी इसे बस यात्रा, रेल यात्रा या किसी अन्य पार्टी में कोरस में गाएं। समा बंध जाएगा!
यार, ये सन् नन् का मतलब क्या होता हे!?
- चलती रेल का दाएं बाएं हिलना डुलना!?
- हवा का स्पर्श होना!?
- कोयले का पावडर मुंह पर चिपकना!?
- भाप की ध्वनि या संगीत!?
- भाप के इंजिन की सीटी!?
- पटरी और रेल से उत्पन्न 'छुक-छुक' संगीत!?
- जी घबराना!?
- दिल का यूं-यूं करना!?
- बनारसी बाबू के गोविंदा की सन सनन सन सांय सांय!?
- प्राचीन बहुउद्देशीय (Multipurpose) इंदौरी शब्द सनन!?
शायद सन् नन् का मतलब उपरोक्त लिखी सभी बातों का मिश्रण है। वैसे हमें सन् नन् के मतलब से क्या मतलब !? रेल में जिया सन् नन् होता ही है! मानी बात है। जानी बात है, जानी!
चलो आपको कुछ 'सनन' जानकारी देते हैं। सत्तर, अस्सी के दशक में इंदौर में इस शब्द का कुछ ज्यादा ही दौर था। स्कूल कॉलेज, गली-मोहल्ले और बाजारों में हर कोई यही शब्द उपयोग में लाता रहता था। स्कूल, कॉलेज के बच्चे हर ढाई मिनट में सनन शब्द एक बार तो बोल ही देते थे। हर प्रश्न का एक ही उत्तर होता था। सनन!
-परीक्षा कैसी हुई? सनन!
-गाना कैसा है? सनन!
-खाना कैसा है? सनन!
-फिल्म कैसी है? सनन!
-मोटगरे की साली कैसी है? सनन!
-मोटगरे की साली की सहेली कैसी है? सनन!
-आदिल की बीबी क्या के री हे? सनन!
इंदौरी लोग सनन शब्द का वाक्यों में प्रयोग कुछ ऐसा करते थे:
-सनन चला जा रिया है।
-जिंदगी सनन चल रई है।
-भिया ने एमजी रोड सनन करवा दी।
-बाउजी का धंधा सनन चल पड़ा है।
-सनन चाय पी तो आंख खुली। (लोकल ब्रांड: सनन चाय)
-कपिल देव सनन की गोली खा के खेल रिया है।(वर्ल्ड कप 83)
-ग्यारसी भिया पान में 120 के साथ सनन डाल देना।( तब सनन की गोली का मतलब मुनक्का होता था। अब इसका मतलब नशे की गोली होता है।)
-शहर से दूर पिपलिया हाना के जंगल में बीयर खींची तो दिमाग सनन हुआ।
कैसा लगा आपको इस शब्द का इतिहास!? सनन!?
चलो अब लौटते हैं भाप के इंजिन* पर। गाना तो आप सुन ही चुके हो। गाने में कौनसी ट्रेन है और कौनसा स्टीम इंजन या भाप का इंजिन, कुछ पता नहीं! सिर्फ इतना पता है की गाना बहुत पते का है! गाते रहिए !
भारत सरकार ने अप्रैल 1953 में भारतीय रेल के 100 वर्ष पूर्ण होने पर दो आने का ये विशेष टिकट जारी किया था जिसमें सन 1853 और सन 1953 के भाप के इंजिन दिखाई दे रहे हैं।
अगर ये गाना सुनकर, ये ब्लॉग पोस्ट को पढ़कर और ऊपर के चित्र को देखकर भी आपका जिया सन् नन् नहीं कर रहा है तो फिर ये ब्लॉग आपके काम का नहीं है! धीरे से हंसते हुए कट लें:) कायकू खाली पीली टाइम वेस्ट करने का भिया!
और अगर बात समझ में आ रही है तो कहीं से पुराना होल्डाल कबाड़िए, पुराने सठिया गए दोस्तों को साथ लीजिए, रेल यात्रा पर निकल जाइए, होल्डाल पर पसर जाइए और जोर-जोर से गाइए: रेल में जिया मोरा सन नन होये रे!
पंकज खन्ना
9424810575
मेरे कुछ अन्य ब्लॉग:
हिन्दी में:
तवा संगीत : ग्रामोफोन का संगीत और कुछ किस्सागोई।
ईक्षक इंदौरी: इंदौर के पर्यटक स्थल। (लेखन जारी है।)
अंग्रेजी में:
Love Thy Numbers : गणित में रुचि रखने वालों के लिए।
Epeolatry: अंग्रेजी भाषा में रुचि रखने वालों के लिए।
CAT-a-LOG: CAT-IIM कोचिंग।छात्र और पालक सभी पढ़ें।
Corruption in Oil Companies: HPCL के बारे में जहां 1984 से 2007 तक काम किया।
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* भाप का इंजिन
लगभग आज से 5000 वर्ष पहले, पाषाण युग की समाप्ति के बाद मानव खेती करना सीख गया था। आग जलाना, धातुओं को बनाना, पका हुआ खाना, पशुपालन अच्छे से समझ गया था। धर्म और भगवान का मतलब जानने लगा था।बर्तन भांडे का प्रयोग करने लगा था। उसके पास नहीं था तो बस स्टीम इंजन नहीं था!
मानव ने हजारों सालों तक आग पर रखे पानी से भरे बर्तनों के ढक्कनों को उबलते पानी से बनती भाप से हिलते-डुलते -उछलते-नाचते देखा। लेकिन ये बात मानव मस्तिष्क में नहीं आई कि इस भाप या स्टीम की ताकत से दुनिया पूरी तरह बदली जा सकती है।
सोलहवीं-सत्रहवीं शताब्दी के आने तक मानव इस भाप की ऊर्जा का महत्व समझने लगा था। जल्दी ही स्टीम से चलने वाले पंप और ड्रिल बन गए। और स्टीम इंजन भी बनते गए, सुधरते गए और फिर सामान ढोने के लिए पटरियों पर दौड़ती रेल भी आ गई और इसी के साथ औद्योगिक क्रांति भी आ गई।
अरे हट, फिर क्या था! मानव जाति को ढोने के लिए रेलें आ गईं। भाप की आवाज़ का संगीत आ गया। और रेल में भी गीत संगीत की महफिलें सजने लगीं। जिया सन् नन् हो गया और जिंदगी सनन हो गई!