(5) काया की रेल निराली (1942) स्टेशन मास्टर

                    काया की रेल निराली

गायक: जी एम दुर्रानी और कोरस। गीतकार: पंडित इंद्र। संगीतकार : नौशाद। निर्देशक: चिमनलाल लुहार।
निर्माता: विजय और शंकर भट्ट, प्रकाश पिक्चर्स, बंबई।

इस फिल्म को क्यों देखें ये तो पिछले लेख में बता ही दिया गया है। पहले नहीं देखी हो तो अब देख लें: स्टेशन मास्टर (1942)

      (रेल म्यूजियम दिल्ली में रखा BBCI का स्टीम इंजन)


छोटे से लगभग एक मिनट के इस गाने के साथ फिल्म 'स्टेशन मास्टर' शुरू होती है। गाना बजता है, ट्रेन चलती है और क्रेडिट्स रोल होते जाते हैं मतलब कलाकारों के नाम दिखाई देते जाते हैं।

 काया की रेल निराली के बोल नीचे दिए हैं:

काया की रेल निराली
काया की रेल निराली
कर जाएगी स्टेशन खाली
रेल निराली, रेल निराली।
कर जाएगी स्टेशन खाली, खाली, खाली।
रेल निराली, रेल निराली।
काया की रेल निराली।
जा झटपट टिकट कटा ले।
जा झटपट टिकट कटा ले।
ये रेल नहीं रुकने की।
ये रेल नहीं रुकने की।

काया की रेल निराली!? इन शब्दों का क्या मतलब हो सकता है? बहुत अनुसंधान किया भाषा का भी और इस फिल्म का भी। दो बार बारीकी से फिल्म देख डाली। समझ नही आया। किस से पूछें? गीत लिखने वाले और ओरिजिनल सुनने वाले तो जा चुके हैं। छोटा सा गीत है। कई बार पढ़ लिया और सुन लिया। यहां गीत के अनुसार काया का मतलब शरीर तो हो नहीं सकता है। 

गाना एक बार और देखिए और सुनिए। कैमरा पूरी तरह स्टीम इंजन पर केंद्रित है। स्टीम इंजन के पहिए, पिस्टन , कनेक्टिंग रोड और क्रॉस हेड को क्लोज अप में लेकर दिखा रहा है। कोई भी रेल प्रेमी तो खुश होगा ही! लेकिन पूरे गाने में कहीं कोई इंसानी काया नहीं दिखाई पड़ रही है। सिर्फ इंजन की ही काया दिखाई पड़ रही है।

अब यही संभावना नजर आती है कि 'काया' शायद किसी व्यक्ति या स्थान या कंपनी का नाम हो। गाने और फिल्म में काया नाम तो कहीं आया ही नहीं। जहां तक कंपनी का सवाल है तो इस रेल को चलाने वाली कंपनी का नाम था : BB & CI Railways मतलब बॉम्बे बड़ौदा एंड सेंट्रल इंडियन रेलवे।*

गीतकार पण्डित इंद्र ने अगर गीत लिखा  होता 'BBCI की रेल निराली' तो ये संगीत के मीटर में फिट नहीं होता। अब काया अगर कोई कंपनी है तो वो या तो रेल के इंजिन बनाती होगी या रेल के डब्बे। पर  ऐसी कोई कंपनी भी नहीं थी।

अब एक संभावना ये बचती है कि शायद ये स्टीम इंजन या रेल के डिब्बे जापान के 'काया'  नाम के क्षेत्र से आयातित किए गए हों। काया  क्षेत्र का रेलवे का प्राचीन इतिहास रहा है। यहां की रेलें बहुत प्रसिद्ध हुआ करती थीं। बाद में काया क्षेत्र में 'काया स्टीम लोकोमोटिव स्क्वायर' भी बनाया गया और एक खुला रेल म्यूजियम भी बनाया गया। संभवतः  BBCI ने इसी काया, जापान से स्टीम इंजन अथवा/और रेल डिब्बे आयात किए थे। 

'काया' के पीछे कुछ भी कहानी रही हो, पर ये तो बोल ही सकते हैं कि: काया की रेल निराली ! काया की रेल निराली और ये गाना भी बहुत निराला है। इस गाने के रचयिता पंडित इंद्र भी काफी निराले ही रहे होंगे!

इस फिल्म के सुखद अंत में ये गाना फिर बजता है। आप फिल्म चालू करके आखिरी एक मिनट में इस गाने को थोड़ा सा फिर सुन सकते हैं।

अब इसके बोल थोड़े से बदल गए हैं: आप नीचे पढ़ सकते हैं:

चली रेल सब चले मुसाफिर। चली रेल सब चले मुसाफिर।
रह गए सिर्फ टेसन बाबू। रह गए सिर्फ टेसन बाबू।
रह गया टेसन खाली। रह गया टेसन खाली।
चली रेल सब चले मुसाफिर। चली रेल सब चले मुसाफिर।
लो चली रेल मतवाली। लो चली रेल मतवाली।
रेल निराली, काया की  रेल निराली।
रेल निराली, काया की  रेल निराली।

'काया की रेल' गाना बहुत अधिक प्रसिद्ध हुआ।  'काया की रेल' एक उक्ति  या वाक्यांश बन गया। इस ओरिजिनल गाने में काया की रेल से मतलब शरीर  की रेल नहीं था। लेकिन पिछले कई दशकों से काया की रेल पर अनगिनत  भजन बन चुके हैं जहां काया से मतलब शरीर ही होता है!

तो ये थी काया की माया! 
अब तो भिया सिर्फ माया की रेल निराली!


पंकज खन्ना
9424810575

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तवा संगीत : ग्रामोफोन का संगीत और कुछ किस्सागोई।
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Corruption in Oil Companies: HPCL के बारे में जहां 1984 से 2007 तक काम किया।


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*BB & CI Railways (बॉम्बे बड़ौदा एंड सेंट्रल इंडियन रेलवे)
(सबसे पहले तो BBCI के इस लुभावने लोगो को देखिए।)

BBCI अंग्रेजों की बनाई एक रेल कंपनी थी जिसकी स्थापना सन 1855 में की गई थी। इस कंपनी ने बंबई से बड़ौदा तक की रेल लाइन डालने का काम सन 1864 में पूरा किया था। इसी कंपनी ने सबसे पहले भारत की पहली लोकल ट्रेन विरार से बॉम्बे तक सन 1867 में शुरू की थी। कंपनी ब्रॉड गेज (5 ft. 6 in.),  मीटर गेज और नैरो गेज ( 2 ft. 6 in) पर रेल सेवाएं देती थी।

कंपनी ने सन 1928 में ही कोलाबा-बोरीवली सेक्शन का विद्युतीकरण कर दिया था। आपको शायद ये जानकर हैरानी हो सकती है कि भारत में  डीजल के इंजिन विद्युतीय इंजन के बहुत बाद में आए थे!

सन 1951 में BBCI, सौराष्ट्र रेलवे, राजपूताना रेलवे, जयपुर स्टेट रेलवे और कच्छ स्टेट रेलवे को मिलाकर पश्चिमी रेलवे ( Western Railway) की स्थापना की गई।














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