(28) राही मतवाले (वारिस) 1954
अगर आप ये सोचते हैं कि सभी रेल गीत एक समान होते हैं
तो एक बार आप ऊपर सूची पर नजर दौड़ाएं। ये सभी रेल गीत एक दूसरे से काफी भिन्न हैं। कोई हास्य गीत है, कोई देशभक्ति गीत है तो कोई मस्ती भरा गीत तो कोई दार्शनिक गीत। लेकिन सब एक से एक नायाब गीत। आने वाले गीतों के बारे में भी यही कहा जा सकता है।
रेल संगीत के सभी ब्लॉग पोस्ट आने वाले हफ्तों में भी कुछ न कुछ नवीनता जरूर रखेंगे। पढ़ते रहिए। आप विस्मित, आनंदित और कभी-कभार द्रवित भी होते रहेंगे, ये वादा रहा!
ये सच है कि रेल संगीत में आने वालों गीतों में भंगार रस तो अवश्य ही होगा! लेकिन गीत संगीत और किस्से अलग-अलग होंगे। भंगार रस से हमारा मतलब ये है: पुराने समय की स्टीम इंजिन वाली रेल गाड़ियां, पटरियां, रेलवे स्टेशन, रेलवे के विभिन्न उपकरण। कुछ पुराने तवे (रेकॉर्ड्स), पुराने ग्रामोफोन, पुराने जमाने की सीधी-साधी वेशभूषा, भाषा और फ़ुर्सती प्यार भरी जीवनशैली। चारों तरफ फैली हरियाली। प्राचीन फिल्मी गीत-साहित्य। मधुर, निर्मल कर्ण प्रिय संगीत। श्वेत श्याम फिल्मों का जबरदस्त जानलेवा ग्लैमर और विचित्र प्रकार का बचकाना हास्य। स्कूल, मोहल्ले और कॉलेज के चिरकुट, बुढा गए, सठिया गए, दोस्त। अतीत की सुखद यादों से उभरी आनंद और विषाद की मिश्रित अनुभूति, अंग्रेजी में बोलें तो Nostalgia!
अब सामान्यतः ऊपर लिखी बातों को कोई ज्यादा महत्व नहीं देता है और भंगार (कबाड़, Scrap) के समान ही हल्के में लेता है। खासकर के पुराने दोस्त जो खुद भंगार हो चुके हैं और हमारे तवे और रेलगाड़ियों को भंगार ठहरा देते हैं! इसलिए इस रस को प्यार से नाम दिया है: भंगार रस! और ये हमें सबसे ज्यादा पसंद है। श्रृंगार रस से भी ज्यादा! आप तवा संगीत में भी इसे अनुभव कर सकते हैं।
अगर आपको ब्लैक एंड व्हाइट से चिढ़ है तब भी इस गाने को सुनिए। हो सकता है आप ब्लैक एंड व्हाइट प्रेमी और रेल प्रेमी भी ( Ferroequinophile) बन जाएं। ब्लैक एंड व्हाइट के बारे में अधिक चर्चा अगले लेख में भी करेंगे।
आज का रेल गीत है: राही मतवाले, तू छेड़ इक बार, मन का सितार। फिल्म का नाम है वारिस (1954)। फिल्म निर्माता हैं नितिन बोस। संगीतकार हैं अनिल बिस्वास और गीतकार हैं कमर जलालाबादी। फिल्म के हीरो और हीरोइन हैं तलत महमूद और सुरैया। गायक और गायिका भी तलत और सुरैया ही हैं।
सिर्फ सुरैया की फोटो क्यों लगाई!? अरे, सुरैया lux से नहाती थीं, इसलिए! तलत और अन्य अभिनेताओं, गायकों के बारे में ऐसी कुछ जानकारी नहीं है ना! चलो छोड़ो! तलत की फोटो अगले लेख में जरूर मिलेगी। आज तो बस सुरैया!
( इस ad की हिंदी पढ़िए: हर स्त्री को मेरी अनुमति है...!)
अब कमर जलालाबादी के इस अद्भुत हिंदी गाने के बोल:
पहला हैप्पी वर्शन : तलत और सुरैया की आवाज़ में।
राही मतवाले, तू छेड़ इक बार, मन का सितार।
जाने कब चोरी-चोरी आई है बहार।
छेड़ मन का सितार।
(देख देख चकोरी का मन हुआ चंचल
चंदा के मुखड़े पे बदली का आँचल) -२
कभी छुपे, कभी खिले, रूप का निखार,
खिले रूप का निखार।
कली-कली चूम के पवन कहे खिल जा।
कली-कली चूम के,
खिली कली भँवरे से कहे आ के मिल जा
आ पिया मिल जा, कली-कली चूम के।
दिल ने सुनी कहीं दिल की पुकार -२
कहीं दिल की पुकार।
(रात बनी दुल्हन भीगी हुई पलकें
भीनी-भीनी ख़ुशबू से सागर छलके) -२
ऐसे में नैना से नैना हों चार
ज़रा नैना हो चार।
राही मतवाले, तू छेड़ इक बार, मन का सितार
जाने कब चोरी चोरी आई है बहार, छेड़ मन का सितार
राही मतवाले, राही मतवाले ।
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दूसरा सेड वर्शन: सुरैया की आवाज़ में।
राही मतवाले, राही मतवाले
(दिल का सुरूर तू, मांग का सिंदूर तू
मन कहे बार बार आयेगा ज़रूर तू
आयेगा ज़रूर तू) -२
तुझको बुलाये मेरे अँसुओं की धार -२
आजा एक बार।
राही मतवाले, तू आजा एक बार, सूनी है सितार
तेरे बिना रूठ गयी हमसे बहार, तू आजा एक बार।
आँख न मिलाये मोसे बैरन निंदिया, बैरन निंदिया
आँख न मिलाये मोसे बैरन निंदिया।
पिया कहाँ पिया कहाँ, (पूछ रही बिंदिया )-२
आँख न मिलाये मोसे बैरन निंदिया, बैरन निंदिया
रूठ रहा मुझसे मेरा ही सिंगार -२
आजा एक बार।
राही मतवाले, तू आजा एक बार, सूनी है सितार
तेरे बिना रूठ गयी हमसे बहार, आजा एक बार।
(भारतीय फिल्म संगीत के भीष्म पितामह: अनिल बिस्वास)
अब आपको इस गाने का जो वर्शन भी सुनना हो नीचे लिखे लिंक को दबाकर देख-सुन लें:
राही मतवाले (ओरिजिनल, तलत महमूद और सुरैया)
राही मतवाले (सभी तीन वर्शन) सुझाव है, इसे जरूर सुनें।
राही मतवाले ( तलत महमूद लाइव)
कहानी लंबी है। सिर्फ गाने पर ध्यान देते हैं। तलत महमूद और सुरैया पंजाब मेल* में सफर कर रहे हैं। दोनों का टांका भिड़ जाता है। ये कैसे हुआ? पूर्ण गाना देखो तो जानो!
बांके जवान हीरो और गायक तलत खूबसूरत हीरोइन और गायिका सुरैया को देखकर गाना शुरू कर देते हैं: राही मतवाले। आप तो बस इन दोनों के चेहरे के हाव भाव देखिए! सुरैया का लगातार प्रेमपूर्वक शर्माना, मुस्कुराना, एक चोटी के घने बालों का दिखना, बालों की एक लट का बार-बार माथे और गाल पर आ बसना और तभी गाने के इन शब्दों का बजना: चंदा के मुखड़े पे बदली का आँचल!
श्वेत-श्याम गानों में दिलचस्पी बढ़ाना चाहते हैं तो ये गाना एक-दो बार सुन लें। रेल संगीत के अगले-पिछले श्वेत-श्याम गीतों को देखे बिना आपको चैन नहीं पड़ेगा!
पंकज की बात मानिए, पद, प्रतिष्ठा, प्रसिद्धि, पावर, पैसे और पॉलिटिक्स के प्रपंच से परे पहुंचकर, पलंग पर प्रेम और प्रसन्नता से पसर के पंजाब मेल* में पनपे इस प्यार की पिक्चर वारिस भी देख डालिए, परमानंद की प्राप्ती होगी, मन प्रफुल्लित होगा!
पंकज खन्ना
9424810575
मेरे कुछ अन्य ब्लॉग:
हिन्दी में:
तवा संगीत : ग्रामोफोन का संगीत और कुछ किस्सागोई।
ईक्षक इंदौरी: इंदौर के पर्यटक स्थल। (लेखन जारी है।)
अंग्रेजी में:
Love Thy Numbers : गणित में रुचि रखने वालों के लिए।
Epeolatry: अंग्रेजी भाषा में रुचि रखने वालों के लिए।
CAT-a-LOG: CAT-IIM कोचिंग।छात्र और पालक सभी पढ़ें।
Corruption in Oil Companies: HPCL के बारे में जहां 1984 से 2007 तक काम किया।
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*पंजाब मेल
पंजाब मेल (जून 1912) भारत की वो सबसे पुरानी ट्रेन है जो आजतक चल रही है। ये रेलगाड़ी शुरु में बेलार्ड पियर ( बाद में विक्टोरिया टर्मिनस/छत्रपति शिवाजी टर्मिनस) से पेशावर (पाकिस्तान) तक बंबई में जहाज से उतरे ब्रिटिश अधिकारियों और उनके परिवारों को बंबई से दिल्ली और फिर भारत के उत्तर-पश्चिम सीमांत तक ले जाने के लिए चलाई गई थी। आज़ादी के बाद इसका गंतव्य फिरोजपुर स्टेशन कर दिया गया। पंजाब मेल देश की एकमात्र ट्रेन है जिसने सौ साल पूरे किए हैं। सन 1930 से इसमें आम जनता के लिए थर्ड क्लास के डिब्बे लगाए गए। सन 1945 में पहली मर्तबा पंजाब मेल में वातानुकूलित बोगियों का समावेश हुआ। अब इसका एक तरफ का सफर 1,930 किलोमीटर का ये 34 घंटों और 15 मिनिट में पूरा करती है। ये बीच में 52 स्टेशंस पर रुकती है और एक साथ 1728 यात्रियों को लेकर चल सकती है। ( ड्राइवर को भी गिन लें तो 1729- Ramanujan Number बन जाए। क्या गणित, क्या तो संगीत और क्या ही रेलगाड़ी का भाप वाला इंजन- प्रभु की गजब माया है, भिया!)
1930 और 1940 के दशक में भारत की तीन सबसे अच्छी, महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध ट्रेनें थीं: तूफान मेल, फ्रंटियर मेल और पंजाब मेल।
फिल्म मिस फ्रंटियर मेल (1936) का एक मशहूर डायलॉग फिल्म की प्रसिद्ध हीरोइन फियरलेस नादिया के बारे में ये था:
'वो लड़की तूफान मेल की तरह आई, पंजाब मेल की तरह मारपीट करके, फ्रंटियर मेल बन कर हवा हो गई।'