(31) दिल मेरा है दीवाना।

पंकज खन्ना 

9424810575

 

         दिल मेरा है दीवाना, दीवाना मोहब्बत का।


गाना: दिल मेरा है दिवाना  फिल्म: शर्त (1954)। गीतकार: एस एच बिहारी। गायिका : आशा भोसले। संगीतकार : हेमंत कुमार।  हीरो: दीपक। हीरोइन : श्यामा। निर्देशक : बी मित्रा। निर्माता: फिल्मिस्तान। 


                    (श्यामा और दीपक - शर्त 1954)

फिल्म की नायिका श्यामा हैं। लेकिन आज का ये गीत सह नायिका मोहना पर फिल्माया गया है। शर्त फिल्म के गाने बहुत अधिक प्रसिद्ध हुए थे। कुछ गीत तो आज भी याद किए जाते हैं। ये गाना, जो रेल गीत है, अन्य गानों की तुलना में काफी कम चला। एक कारण शायद ये भी रहा हो कि अन्य सभी गाने हीरो और हीरोइन ( दीपक और श्यामा) पर केंद्रित थे। जबकि ये गाना कम प्रसिद्ध मोहना पर फिल्माया गया था। 

                  Mohana Cabral (1929-1990)

Mohana Cabral या Miss Mohana या सिर्फ  मोहना  गोआ की जानी मानी गायिका, नृतकी और Tiatr* कलाकार थीं। इन्होंने चालीस और पचास के दशकों में 20 से अधिक  हिंदी फिल्मों में काम किया जैसे: रिम-झिम (1949), नगीना (1951), साकी (1952), आशियाना (1952), शर्त (1954), नादान और सावन आया रे।(मोहना का गाया कोंकणी गीत।और मोहना पर फिल्माए गए अन्य गाने।)

गाने की कहानी ये है कि मोहना, श्यामा और फिल्म के अन्य कलाकार इलाहाबाद से देहरादून  EIR (Eastern Indian Railway) की ट्रेन में यात्रा कर रहे हैं। मोहना (1929-1990)  इस फिल्म में श्यामा (1935-2017) की सौतेली मां बनी हैं जबकि दोनों की उम्र में फिल्म में भी ज्यादा अंतर नहीं बताया गया है।

(गाने की शूटिंग EIR की  एक फर्स्ट क्लास बोगी में की गई है। अंग्रेजों के जमाने की इस बोगी के कूपे का Interior देखने लायक है। बोगी की दीवारों पर फोटो फ्रेम्स भी लगे हुए हैं। अब तो फर्स्ट क्लास के non AC वाले डब्बे बंद हो चुके हैं। जिन्होंने ऐसे कूपों में सफर किया है उनको विशेषतः फिल्म का  शुरू के लगभग 15 मिनट का फिल्मांकन बहुत अच्छा लगेगा।)

ये छोटा सा (सिर्फ 2 मिनिट और एक सेकंड का) लेकिन बहुत मधुर रेलगीत है। सबसे पहले स्टीम इंजिन और रेल को संगीत के साथ अच्छे से दिखाया जाता है।  स्टीम इंजिन के पिस्टन, कनेक्टिंग रोड और रेल के सिग्नल सिस्टम  भी हेमंत कुमार के  संगीत में  आशा भोसले की आवाज़ पर झूमते, नाचते हुए नजर आते हैं। 

फिर कैमरा मोहना पर आ जाता है। और मोहना का तो क्या कहना! खिड़की पर बैठे-बैठे हाथ में पुराने जमाने के दर्पण में देखते-देखते कंघी करते हुए गाना गा रही हैं: दिल मेरा है दिवाना  :

(दिल मेरा है दीवाना, दीवाना मुहब्बत का। 

एक शमा का परवाना, परवाना मुहब्बत का।) 2

रुत ये सुहानी प्यारा जमाना, दुनिया के गम से दिल है बेगाना। 2

होठों पे है अफसाना, होठों पे है अफसाना। अफसाना मुहब्बत का।

दिल मेरा है दीवाना। दीवाना मुहब्बत का। 

एक शमा  का परवाना। परवाना मुहब्बत का।

भूला मुसाफिर बहकी निगाहें खोज रही हैं प्यार की राहें 2

आंखों में है मैखाना, आंखों में है मैखाना, मैखाना मुहब्बत का।

दिल मेरा है दीवाना, दीवाना मुहब्बत का।

एक शमा का परवाना, परवाना मुहब्बत का।

गाना खतम होते ही मोहना का कत्ल हो जाता है और फिर फिल्मी कहानी शुरू हो जाती है। ये फिल्म Alfred Hitchcock की कहानी 'Strangers on a Train' पर  आधारित है। लेकिन  फिल्मी तड़के और गाने फिल्मीस्तान वालों के ही हैं, एकदम असली और मस्त!

हम तो बस गानों के बारे में ही बातें करेंगे। आज का गाना बहुत सुरीला है, अच्छा गाया गया है और बेहतरीन फिल्माया भी गया है। और इसके शब्द भी बहुत जानदार हैं। खासकर ये अंतरा हमें बहुत पसंद है: भूला मुसाफिर , बहकी निगाहें खोज रही हैं प्यार की राहें । आंखों में है मैखाना, आंखों में है मैखाना, मैखाना मुहब्बत का।



लेकिन इस गीत की तुलना थी तो हेमंत कुमार के संगीत में बने फिल्म शर्त के ही ऐसे-ऐसे सुपरहिट नगमों से: ऐ मेरे चमन , मेरी तकदीर के मालिक पिया मैं तो हुई बावरी देखो वो चांद चुपके से करता है क्या इशारेमोहब्बत में मेरी तरह ना ये चांद होगा , (हेमंत कुमार), ना ये चांद होगा (गीता दत्त) , चांद घटने लगा ,  चला काफिला प्यार का , जाना ना छोड़के , मेरे हमसफ़र

हम जैसे  रेल-संगीत भक्तों के लिए तो भिया यही कोर्स  में है: दिल मेरा है दिवाना !!!

 
पंकज खन्ना
9424810575

मेरे कुछ अन्य ब्लॉग:

हिन्दी में:
तवा संगीत : ग्रामोफोन का संगीत और कुछ किस्सागोई।
ईक्षक इंदौरी: इंदौर के पर्यटक स्थल। (लेखन जारी है।)

अंग्रेजी में:
Love Thy Numbers : गणित में रुचि रखने वालों के लिए।
Epeolatry: अंग्रेजी भाषा में रुचि रखने वालों के लिए।
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Corruption in Oil Companies: HPCL के बारे में जहां 1984 से 2007 तक काम किया।


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* Tiatr:

ये शब्द Tiatr पुर्तगाली शब्द 'Teatro' से आया है, जिसका अर्थ है Theatre, थिएटर। यह गोवा में आधुनिक कोंकणी थिएटर का एक लोकप्रिय रूप है, और इसका इतिहास बहुत समृद्ध है। ये एक प्रकार का थिएटर ही है पर इसमें गोवा और बंबई की सभ्यता का काफी प्रभाव होता है। हर एक्ट के बीच में नाच और/या गाने  पेश किए जाते हैं। सबसे पहले Tiatr बंबई में सन 1892 में प्रस्तुत किया गया था।

पहले धार्मिक Tiatr आत्मनिरीक्षण और व्यक्ति के जीवन को बेहतर बनाने पर केंद्रित थे, लेकिन हाल के Tiatr में राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर भी चर्चा की जाती है। और नृत्य और गाने तो होंगे ही। अगली बार जब भी गोआ जाएं तो वहां के गांवों में Tiatr का आनंद जरूर लें! गोआ में सिर्फ बीचेज़, बिल्डिंग और नाइट लाइफ ही नहीं है। वहां जंगल , पहाड़ और Tiatr भी हैं। कभी बनाइए प्रोग्राम!




 

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