(25) चल मेरी गडिए (एक दो तीन)(1953)



                            चल मेरी गडिए 


गाना: चल मेरी गडिएफिल्म: एक दो तीन1953)। गायक: मोहम्मद रफ़ी। गायिका: मीनल वाघ, आशा भोंसले। गीतकार: अज़ीज़ कश्मीरी। संगीतकार: विनोद। निर्माता और निर्देशक: रूप कुमार शोरी।

            (यशोधरा काटजू, मीना शौरी और मोतीलाल)


एक दो तीन 1953 में बनी हिंदी कॉमेडी फ़िल्म है, जिसमें  मोतीलाल , मीना शौरी ( असली नाम खुर्शीद जहां) , यशोधरा काटजू, मजनू, कोशल्या कुक्कू और इफ़्तिख़ार ने अभिनय किया है। फिल्म की कहानी का कुछ भाग Somerset Maugham की Facts of Life से लिया गया है।


क्योंकि हमें बस इसी गाने के कारण ये फिल्म बहुत पसंद है इसलिए सीधे गाने पर आ जाते हैं और गाने की कहानी समझ लेते हैं। कुछ ऐसा होता है कि फिल्म के हीरो मोतीलाल  उनके ही दोस्त सह-कलाकार मजनू की हत्या के आरोप में फंस जाते हैं। जबकि मजनू अंबाला के ग्रीन होटल में एक  थिएटर डांसर कौशल्या के साथ इश्क फरमा रहे हैं! 

मोतीलाल की मंगेतर मीना शौरी के पास सिर्फ एक रात का समय है।अगली सुबह मोतीलाल को फांसी होने वाली है। मजनू को कैसे भी पकड़ कर फांसी के पहले मजिस्ट्रेट के सामने पेश करना है। और ऐसी सिचुएशन  में मीना शौरी, मजनू और कौशल्या की  ट्रेन छूट जाती है! कहने का मतलब ये कि क्या रिस्क रे बाबा, क्या रिस्क रे बाबा!

मीना शोरी ने पहले तो मोतीलाल का दिल चुराया था अब मोतीलाल को बचाने के लिए बस, रेल की पटरी पर चलने वाली ट्रॉली, और फिर पूरी की पूरी Eastern Punjab Railway* की ट्रेन ही चुरा लेती हैं! 

उसी  ट्रेन में मजनू और कौशल्या को बैठाकर कोर्ट में मजनू की जिंदा होने की गवाही देने के लिए चल देती हैं। स्टीम इंजन को खुद चलाती हैं! और गाना शुरू कर देती हैं: चल मेरी गडिए तू छुक छुक छुक । अब ये गाएंगी तो मजनू और कौशल्या भी गाएंगे! और कौशल्या तो इंजन के ऊपर खड़ी होकर गाएंगी! ऐसा गज़ब करनामा आपको कहीं और देखने को नहीं मिलेगा:)आप भी पढ़िए, सुनिए और गाइए ये गाना!


चल मेरी गडिए तू छुक छुक छुक।
निकल मेरी गडिए तू छुक छुक छुक।
इधर इंजन का कोयला  गया मुक मुक मुक।
इधर इंजन का कोयला  गया मुक मुक मुक।
तू लकड़ी फड़ा मेन्नू चुक चुक चुक।
कहीं गाड़ी मेरी जाए ना रुक रुक रुक।
चल मेरी गडिए तू छुक छुक छुक।
निकल मेरी गडिए तू छुक छुक छुक।
हो चल मेरी गडिए तू छुक छुक छुक।
निकल मेरी गडिए तू छुक छुक छुक।

खिड़कियों को तोड़ के जल्दी जल्दी ला।
दरवाज़ों को फोड़ के आग में जला।
खिड़कियों को तोड़ के जल्दी जल्दी ला।
दरवाज़ों को फोड़ के आग में जला।
फिर तेरा मेरा प्यार होवे चुप चुप चुप।
फिर तेरा मेरा प्यार होवे चुप चुप चुप।
इधर इंजन का कोयला  गया मुक मुक मुक।
इधर इंजन का कोयला  गया मुक मुक मुक।
चल मेरी गडिए तू छुक छुक छुक।
निकल मेरी गडिए तू छुक छुक छुक।
चल मेरी गडिए तू छुक छुक छुक।
निकल मेरी गडिए तू छुक छुक छुक।

लकड़ी जलाएंगे अंखियां मिलाएंगे।
दिल के लगाने से बाज़ नहीं  आएंगे। 
डर मत, लड़ मत, लड़ मत, डर मत।
प्यार का जमाना नहीं काम का जमाना है।
दिल के लगाने का ये फैशन पुराना है।
प्यार का जमाना नहीं काम का जमाना है।
दिल के लगाने का ये फैशन पुराना है।
तू ज़रा मेरी ओर आ झुक झुक झुक।
तू ज़रा मेरी ओर आ झुक झुक झुक।
इधर इंजन का कोयला  गया मुक मुक मुक।
इधर इंजन का कोयला  गया मुक मुक मुक।
चल मेरी गडिए तू छुक छुक छुक।
निकल मेरी गडिए तू छुक छुक छुक।

चल मेरी गडिए तू छुक छुक छुक।
निकल मेरी गडिए तू छुक छुक छुक।
बांसुरी की तान मेरे दिल को लुभाती है।
बिछड़े बालम की याद दिलाए है।
बांसुरी की तान मेरे दिल को लुभाए है।
बिछड़े बालम की याद दिलाए है।
जियरा जलाए है पिया को बुलाए रे।
गाड़ी चली जाये है।
दिल मेरा करे हाय धुक धुक धुक।
हो दिल मेरा करे हाय धुक धुक धुक।
चल मेरी गडिए तू छुक छुक छुक।
निकल मेरी गडिए तू छुक छुक छुक।
इधर इंजन का कोयला  गया मुक मुक मुक।
इधर इंजन का कोयला  गया मुक मुक मुक।
तू लकड़ी फड़ा मेन्नू चुक चुक चुक।
तू लकड़ी फड़ा मेन्नू चुक चुक चुक।

चल मेरी गडिए तू छुक छुक छुक।
निकल मेरी गडिए तू छुक छुक छुक।
निकल मेरी गडिए तू छुक छुक छुक।
निकल मेरी गडिए तू छुक छुक छुक।

वैसे तो हर रेल गीत के बारे में  लिखने में बहुत आनंद आता है लेकिन इस गाने पर ये आलेख लिखने में कुछ ज्यादा ही मजा आ रहा  है। ये लगभग Perfect रेल गीत है। सब कुछ है इस गाने में: पूरे समय तक स्टीम इंजन या रेल का दर्शन, Kangra Valley Railway** के प्राचीन  रेल के पुलों से गुजरती स्टीम इंजन वाली ट्रेन, धौलाधार रेंज के बर्फ के पहाड़ और हरियाली, अज़ीज़ कश्मीरी के हल्के फुल्के मनोरंजक शब्द, विनोद का पंजाबी लोक संगीत से प्रेरित मेलोडियस संगीत, मीना शोरी का ग्लैमर, कौशल्या और मीना शोरी  का  स्टीम इंजन के ऊपर और अंदर बढ़िया स्टंट, रफी/आशा/मीनल वाघ की शानदार-जानदार गायकी। जहां तक इस गाने का सवाल है, सब कुछ उच्च स्तर का है!


ये गाना पंजाबी मिश्रित हिंदी में है। कुछ शब्दों का मतलब समझ लें तो थोड़ी आसानी होगी। इंजन का कोयला गया मुक मुक मुक मतलब इंजन का कोयला खतम हो गया है। तू लकड़ी फड़ा मेन्नू चुक चुक चुक मतलब तू उठा उठा के लकड़ी पकड़ा।

ट्रेन में कोयला खतम हो जाता है तो ये तीन तिलंगे मिलकर रेल के डिब्बों के खिड़की दरवाजे कटकर और तोड़कर भट्टी में डाल देते हैं! ऐसे हैरतअंगेज कारनामे फिर कभी देखने सुनने में नहीं आए!! 

एक दो तीन के अन्य गाने भी बहुत मधुर हैं।  मोतीलाल, मीना शौरी, अज़ीज़ कश्मीरी और विनोद की चौकड़ी ने फिल्म एक थी लड़की (1948) में लारा लप्पा गाना रच के इतिहास रचा था।


अगर आप भी इस चौकड़ी के फैन हैं तो  इस फिल्म के बाकी गाने भी सुन सकते हैं:

बेला बंबिना आया है सावन का महीना। मीना शोरी और यशोधरा काटजू । आशा भोसले।
तुम्हें चुपके से दिल में। मीना शोरी और मोतीलाल। रफी और आशा भोसले।
पिया जो बुलाए तो। मीना शोरी और मोतीलाल। रफी और आशा भोसले।
आका बाका धूम धड़ाका। मीना शोरी और यशोधरा काटजू और ग्रुप। आशा भोसले, मीनल वाघ , प्रमोदिनी देसाई।
आजा रे बालम तुझे मेरी कसम। कुक्कू। संध्या मुखर्जी।
एक दो तीन हो तो करूं ऐतबार मीना शोरी और मोतीलाल।  आशा भोसले। (लारा लप्पा की नकल)
लो फिर चांद निकल आया मीना शौरी। आशा भोसले।
ठुमक ठुमक चली कामिनी। कौशल्या। आशा भोसले।

लारा लप्पा गर्ल मीना शोरी (1921-1989) पहले भी  रेलगीत हैलो, हैलो, हैलो जेंटलमैन में दिख चुकी हैं। उनके ऊपर फिल्माया गया ये गाना हमें बहुत पसंद है: चोरी चोरी ( फिल्म:  ढोलक गायिका सुलोचना कदम। संगीतकार : हुस्नलाल भगतराम)। (मीना शौरी के अन्य गीतों को सुनने के लिए ये वीडियो देख सकते हैं।)


   (मीना शौरी और मोती एक फिल्मी क्रिकेट मैच के दौरान।)

ऊपर की फोटो में मीना शौरी ने जैसे मोतीलाल को पीठ पर उठाया हुआ है ऐसे ही उन्होंने अपने बल  पर कई फिल्मों को चलाया था! ये फिल्म और गाना भी इसी बात का उदाहरण है!



पंकज खन्ना
9424810575

मेरे कुछ अन्य ब्लॉग:

हिन्दी में:
तवा संगीत : ग्रामोफोन का संगीत और कुछ किस्सागोई।
ईक्षक इंदौरी: इंदौर के पर्यटक स्थल। (लेखन जारी है।)

अंग्रेजी में:
Love Thy Numbers : गणित में रुचि रखने वालों के लिए।
Epeolatry: अंग्रेजी भाषा में रुचि रखने वालों के लिए।
CAT-a-LOG: CAT-IIM कोचिंग।छात्र और पालक सभी पढ़ें।
Corruption in Oil Companies: HPCL के बारे में जहां 1984 से 2007 तक काम किया।


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*East Punjab Railway:  अविभाजित भारत में North Western State Railway हुआ करती थी। भारत के विभाजन के बाद भारत के पंजाब में इसी रेल का हिस्सा East Punjab Railway  (EPR) कहलाने लगा।


फिर 1952 में,  East Indian Railway  के एक हिस्से, मुगलसराय के North West, जोधपुर रेलवे, बीकानेर रेलवे और  East Punjab Railway के साथ Northern Railway का गठन किया गया था। 

विभाजन के बाद Bengal Assam Railway और  North  West Railway (NWR) अब भारत में नहीं हैं (इनमें क्रमशः सैदपुर और मुगलपुरा की वर्कशॉप्स भी शामिल थीं)। NWR का लगभग 2955 किमी का रूट  भारत में East Punjab Railway  के हिस्से में आया  और बाकी 8070 किमी पाकिस्तान में रह गया। 

जोधपुर रेलवे का कुछ हिस्सा पश्चिमी पाकिस्तान में भी चला गया। बंगाल असम रेलवे का अधिकांश हिस्सा तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में चला गया। 

अब न तो NWR है ना EPR है। जो है वो बस नॉर्दन रेलवे है।


**The Kangra Valley Railway: कांगड़ा घाटी रेलवे 2 फीट 6 इंच (762 मिमी) गेज रेलवे है जो पठानकोट, पंजाब से हिमाचल प्रदेश के जोगिंदरनगर तक चलती है। 


यह कांगड़ा घाटी के उप-हिमालयी क्षेत्र से होकर गुजरती है और 164 किमी (101.9 मील) लंबी है। यह यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की संभावित सूची में है। यह रेलवे नॉर्दन रेलवे के फिरोजपुर डिवीजन का हिस्सा है। यह भारत की सबसे लंबी नैरो गेज लाइन है। इस लाइन का सबसे ऊँचा स्थान 1,290 मीटर (4,230 फीट) की ऊँचाई पर अहजू स्टेशन है। Kangra Valley Railway में  33 स्टॉप और 950 पुल हैं। आप इन 950 पुलों की बात से ये अच्छे से समझ सकते हैं कि ये Kangra Valley Railway इंजीनियरिंग का कितना बड़ा आश्चर्य है।

पर्यटकों के बीच जैसा उत्साह Darjiling Hill Railway, Ooty Train या Matheran Train के लिए है वैसा उत्साह Kangra Valley Railway के लिए नहीं है।  


आज के गाने चल मेरी गडिए  की शूटिंग The Kangra Valley Railway के नगरोटा रेलवे स्टेशन और उसके आस पास के क्षेत्र में की गई है।

अगर आप पर्यटकों के भीड़ से दूर पर्यटन करना चाहते हैं तो इस रूट पर यात्रा करें। किसी भी  स्टेशन पर रुकें, लोकल खाएं पीएं  घूमें फिरें और आनंद लें। फिर फीडबैक देना। फोन नंबर तो आपको दे ही रखा है!


 

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