(43) ये बॉम्बे शहर का बड़ा नाम है।
पंकज खन्ना
9424810575
रेल संगीत-परिचय: ब्लॉग सीरीज को अच्छे से जानने के लिए।
ये बॉम्बे शहर का बड़ा नाम है
गाना: ये बॉम्बे शहर का बड़ा नाम है। फिल्म: क्या ये बॉम्बे है (1959)। गायक: मोहम्मद रफ़ी। गीत-नूर देवासी। संगीतकार: बिपिन दत्ता। हीरो: मारुति। हीरोइन: निशी कोहली। परदे पर: मारुती, एक अज्ञात सह-कलाकार, बंबई की सड़कें, बिल्डिंग्स, बस और लोकल ट्रेन आदि।
(पहले फिल्म का नाम रखा गया था- ये बंबई है। बाद में इस फिल्म का नाम रख दिया गया- क्या ये बंबई है?)
ये एक कम बजट वाली फिल्म थी जिसमें कम प्रसिद्ध और लगभग अनजान कलाकारों ने काम किया। दर्शकों को बिल्कुल प्रभावित नहीं कर पाई और उसका वही हाल हुआ जो अक्सर B/C ग्रेड की अधिकतम फिल्मों के साथ होता है। फिल्म पिट गई।
आज का गाना भी कोई हिट गाना नहीं रहा। लेकिन फिर भी कभी-कभी याद कर लिया जाता है। सिर्फ इसलिए कि इसे मोहम्मद रफी ने गाया है और बहुत अच्छा गाया है। हमारे जैसे रफी के प्रशंसकों के लिए तो उनके सभी गाने सुरीले हैं।
सबसे पहले गाने के शब्द पढ़ लेते हैं।
ये बॉम्बे शहर का बड़ा नाम है।
पर गड़बड़ घोटाले का हर काम है।
ये बॉम्बे शहर का बड़ा नाम है।
पर गड़बड़ घोटाले का हर काम है।
अंधों को समझ यहां दूर की आंखवालों को मिलता नहीं रास्ता। सुनता नहीं कोई मजबूर की, किसी को किसी से नहीं वास्ता। सुनो भैया मेरा ये पैगाम है। सुनो भैया मेरा ये पैगाम है।
बॉम्बे शहर का बड़ा नाम है पर गड़बड़ घोटाले का हर काम है। बॉम्बे शहर का बड़ा नाम है पर गड़बड़ घोटाले का हर काम है।
आलू को बोलें बटाटा यहां, नमस्ते को कहते हैं टाटा।
यहां अमरूद पेरु और अंडा है पेदा।
यहां पर हुए हैं नए नाम पैदा।
ये जिसको बुलाएं करें श्श्श श्श्श।
हैरत का यारों हर इक काम है।
बॉम्बे शहर का बड़ा नाम है पर गड़बड़ घोटाले का हर काम है। बॉम्बे शहर का बड़ा नाम है पर गड़बड़ घोटाले का हर काम है कहीं राज भैया कहीं बेबी नंदा।
सट्टे की मानिंद है फिल्मों का धंधा।
जो लग जाए नंबर तो बन जाए बंदा।
जो नंबर ना आया तो मांगोगे चंदा।
जरा बचकर रहना सुनो मेरा कहना
अगर मेरी मानो बुरा काम है।
बॉम्बे शहर का बड़ा नाम है पर गड़बड़ घोटाले का हर काम है। बॉम्बे शहर का बड़ा नाम है पर गड़बड़ घोटाले का हर काम है।
बिजली से चलती हैं यहां गाडि़यां, बसों का अजब सा है खेल। जो किस्मत से इनमें जगह मिल भी जाए तो धक्के पे धक्का। निकल जाए तेल बड़ी भीड़ है बड़ा शोर है।
मगर कार वालों को आराम है।
बॉम्बे शहर का बड़ा नाम है पर गड़बड़ घोटाले का हर काम है। बॉम्बे शहर का बड़ा नाम है पर गड़बड़ घोटाले का हर काम है। ये वर्ली का नाका ये दादर का सर्कल।
यहां का दिखायें तुम्हें एक लटका।
जवानों की टोली हसीनों की हलचल।
नहीं है शरीफ़ों को कोई भी खटका।
जो नादान है वो हैरान है ओ होशियार है वो नाकाम है।
बॉम्बे शहर का बड़ा नाम है पर गड़बड़ घोटाले का हर काम है। बॉम्बे शहर का बड़ा नाम है पर गड़बड़ घोटाले का हर काम है।
जहां देखता हूं जिधर देखता हूं
मैं लड़की को लड़का बना देखता हूं।
ऐ मेरे भगवान ये क्या देखता हूं।
जमाने की उल्टी अदा देखता हूं।
ये भारत की बेटी हया खोके बैठी।
अब इनको बचाना तेरा काम है।
बॉम्बे शहर का बड़ा नाम है पर गड़बड़ घोटाले का हर काम है। बॉम्बे शहर का बड़ा नाम है पर गड़बड़ घोटाले का हर काम है।
इस गाने के गीतकार हैं नूर देवासी। काफी अच्छा गीत लिखा है उन्होंने, लेकिन न तो गाना चला न ही उनका नाम! नूर देवासी एक काबिल गीतकार थे। उन्होंने बहुत अच्छे-अच्छे गीत लिखे लेकिन वो प्रसिद्धि नहीं मिली जिसके वो अधिकारी थे। उदाहरण के लिए याद करिए उनका लिखा आशा भोसले द्वारा ओ पी नैय्यर के संगीत में गाया गया ये सुपरहिट गीत: आओ हुज़ूर तुमको सितारों में ले चलूं ( किस्मत 1968)।
जब भी इस गीत की बात की जाती है तो आशा/ओ पी नैय्यर/ बबीता/विश्वजीत को याद किया जाता है। नूर देवासी कौन? अरे भई, यही तो हैं इस गीत के रचयिता! और इन्हें कोई याद ही नहीं करना चाहता। आप खोजिए नेट पर इनकी फोटो! मिल जाए तो बताना। हुजूर, सितारों पर लिए चलेंगे!
नूर देवासी ने रविन्द्र जैन, हंसराज बहल, किशोर कुमार, बिपिन बाबुल, गणेश और दत्ताराम वाडकर जैसे संगीत निर्देशकों के साथ काम किया है। उनके द्वारा अन्य लिखे गए कुछ चुनिंदा गीत ये हैं: दिल से मैं (बस कंडक्टर 1959)। ये प्यार का झगड़ा है (आग और दाग 1971)। यूं हुस्न का जलवा (महा बदमाश 1977)। चलती का नाम जिंदगी (चलती का नाम जिंदगी 1982)। छुट्टी कर दी मेरी (निश्चय 1992)। Non Filmi LP-Loves of Runa Laila by O P Naiyyar- में भी उन्हीं के लिखे गीत हैं। उदाहरण के लिए ये गीत सुनें :सुरमई शाम।
संगीतकार बिपिन दत्ता और बाबुल कभी संगीतकार मदन मोहन के सहायक हुआ करते थे। दोनों ने बिपिन-बाबुल के नाम से मिलकर कुछ फिल्मों में संगीत भी दिया। बाद में दोनों ने अलग-अलग संगीत रचा। बाबुल का संगीत अधिक प्रसिद्ध हुआ। लेकिन बिपिन दत्ता का संगीत भी कम नहीं था।
बिपिन दत्ता ने फिल्म क्या ये बॉम्बे है? (1959) के अलावा भी कई फिल्मों में संगीत रचा है, जैसे: आलम आरा की बेटी (1960), डायमंड किंग (1961) और बागी शहज़ादा (1964)। इन सभी फिल्मों के गाने काफी कर्णप्रिय हैं।
क्या ये बॉम्बे है फिल्म के सारे गाने सुनने और बिपिन दत्ता के संगीत को समझने के लिए यहां क्लिक करें।
बिपिन और बाबुल ने एक लंबे अंतराल के बाद बीआर इशारा द्वारा निर्देशित फिल्म दावत (1974) में फिर से साथ आकर संगीत दिया जिसमें मुकेश-आशा भोसले की जोड़ी का ये गाना भी था: ऐसे भी न रूठो तुम कि जीना मुश्किल हो।
अब तक आपने आज का गाना ये बॉम्बे शहर का बड़ा नाम है देख ही लिया होगा। आपने देखा होगा कि सन 1959 के आसपास के समय बंबई की सड़कें कितनी खुली-खुली और लगभग वीरान होती थीं। मारुतिराव परब (फिल्म और टीवी कलाकार गुड्डी मारुति के पिता) जिन्हें सिर्फ मारुति के नाम से जाना जाता है, फिल्म के हीरो थे। मारुति और उनके साथी बंबई की सड़कों के बीच में दिन-दहाड़े चलते हुए, नाचते हुए ये गाना गा रहे हैं और 'भीड़' की शिकायत भी कर रहे हैं! बंबई की भी बुराई कर रहे हैं, लेकिन नाचते गाते:)
(बहुत सारे गानों में जिनमें बंबई की बात की जाती है, बंबई की नेगेटिव बातें भी की जाती हैं। लेकिन इससे मुंबईकर को कुछ फरक नहीं पड़ता! वो तो नाचेगा, झूमेगा, गाएगा और यही कहेगा: जीना इसीका नाम है!)
गाने के साथ-साथ उस समय का बंबई दर्शन करा दिया गया है। सुन्दर आलीशान इमारतें, साइकिलें, कारें, बसें, सड़कें और बंबई की लोकल ट्रेनें। गाने के बीच में चलती ट्रेन दिख गई तो रेल गीत कहलाएगा ही!
इस गीत में मारुति और विशेषकर उनके अज्ञात साथी ने जो प्यारा, Cute सा डांस किया है ना ,वो बिल्कुल अविस्मरणीय है! उनके स्टेप्स बहुत आसान हैं। बंद कमरे में गाना सुनते हुए हमने भी इनके स्टेप्स की नकल की। सच में मजा आ गया! आप भी नाच के देखिए, आपको भी मजा आ जाएगा!! ख्याल रखना आपका कोई वीडियो न बना ले! (हमारा वीडियो बन चुका है, लोग ब्लैकमेल कर रहे हैं कि वायरल कर देंगे!)
बॉम्बे/ बंबई/मुंबई पर एक रेल गीत पहले भी लिख चुके हैं: आया आया बम्बईवाला। फिल्म: फरार(1955)। गायक और संगीतकार: अनिल बिस्वास। गीतकार: सरदार जाफरी।
बॉम्बे/ बंबई/मुंबई पर लिखे गए कुछ चुनिंदा गानों के लिंक नीचे दिए हैं:
आया आया बंबई वाला।(फरार 1955) अनिल बिस्वास।
ए दिल है मुश्किल जीना यहां।(CID 1956)। रफी,गीतादत्त
मैं बंबई का बाबू। (नया दौर1957)। रफी।
ये बॉम्बे शहर का बड़ा नाम है।(क्या ये बॉम्बे है?1959) रफ़ी।
बॉम्बे सेंट्रल पर नजरें ( पठान 1962) महेंद्र कपूर और आशा।
बॉम्बे मेरी है।(1969) उमा पोचा ( उषा उथुप की बड़ी बहन)
बंबई शहर की चल तुझको (पिया का घर 1972) रफी।
छुक छुक... बॉम्बे से बडौदा (रफूचक्कर 1975) उषा, आशा।
बंबई से आया मेरा दोस्त।(आपकी खातिर1977)बप्पी लाहिरी
ई है बंबई नगरिया । डॉन (1978)। किशोर कुमार।
ये बंबई शहर हादसों का शहर है।(हादसा1983)अमित कुमार
बंबई ने पैदा किया (जान की बाज़ी1985) किशोर कुमार।
बॉम बॉम बॉम्बे मेरी है। (रखवाला1989)। अमित कुमार।
बंबई हमको जम गई -अमित कुमार- फिल्म: स्वर्ग (1990)।
बंबई से गई पूना।(हम हैं राही प्यार के 1993)अलका याग्निक
बंबई से रेल चली।ज़ालिम 1994.अलीशा चिनाई, अनु मलिक
मुंबई लियो । सपूत 1997. रेमो फर्नांडिस।
बंबई की छोरियां। विनाशक 1997.सपना मुखर्जी और उदित।
जाओ चाहे दिल्ली मुंबई। (कुरुक्षेत्र 2000) सुनिधि चौहान।
मुंबई सालसा। (2007) अलीशा चिनाई और अदनान सामी।
रोज होता हंगामा बंबई में। अंश 2022.
आप देख सकते हैं कि बंबई पर बहुत सारे गाने लिखे और गाए गए हैं। बहुत सारे गाने छूट भी गए होंगे। आपको याद आएं तो कृपया जरूर बताना।
फिल्मों के टाइटल में भी बॉम्बे, बंबई, बम्बई, और मुंबई का नाम काफी बार आया है। कुछ नाम जरूर छुटे भी होंगे। कुछ फिल्मों के नाम नीचे लिखे हैं।
Bambaiwali 1941
Bombay 1941
Miss Bombay 1957
Bambai ka babu 1960
Bambai ki billi 1960
Dekhi Teri Bambai 1961
Bombay ka chor 1962
Bambai Raat ki bahon mein 1968
Bombay Talkies 1971
Bombay to Goa 1972
Bombay 405 Miles 1980
Bambai ka maharaja 1980
Bombay 1995
Bambai ka babu 1996
Bombay Boys 1998
Mumbai se aaya mera dost 2003
Mumbai Matinee 2003
Mumbai mirror 2003
Mumbai Express 2005
Bombay to Goa 2007
Mumbai Salsa 2007
Mumbai City FC 2007
Bombay to Bangkok 2008
332 Mumbai to India 2010
Mumbai 118 (2010)
Bombay Talkies 2013
Mumbai Mast Kalandar 2013
Mumbai can dance Saala 2014
Midsummer midnight Mumbai 2014
Mumbai 125 kms 2014
Mumbai Blues (2014)
Mumbai Delhi Mumbai (2014)
Bombay Velvet 2015
Babuji ek ticket Mumbai 2015
मुंबई, रेल और संगीत एक दूसरे से कितने मिले हुए हैं ये आप ऊपर की दोनों के लिस्ट्स से देख सकते हैं। बंबई पर बने सभी गाने एक से बढ़कर एक हैं लेकिन आज के गाने की बात ही अलग है! संभवतः ये पहला गीत है जिसमें मुंबई का नाम आया हो।भले ही ये कम प्रसिद्ध हो, लेकिन बम्बई की कहानी अच्छे से दिखाता और सुनाता है।
पंकज खन्ना
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तवा संगीत : ग्रामोफोन का संगीत और कुछ किस्सागोई।
ईक्षक इंदौरी: इंदौर के पर्यटक स्थल। (लेखन जारी है।)
अंग्रेजी में:
Love Thy Numbers : गणित में रुचि रखने वालों के लिए।
Epeolatry: अंग्रेजी भाषा में रुचि रखने वालों के लिए।
CAT-a-LOG: CAT-IIM कोचिंग।छात्र और पालक सभी पढ़ें।
Corruption in Oil Companies: HPCL के बारे में जहां 1984 से 2007 तक काम किया।
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