(10) हम चले वतन की ओर (1943)
पंकज खन्ना
9424810575
रेल संगीत-परिचय: ब्लॉग सीरीज को अच्छे से जानने के लिए।
हम चले वतन की ओर
गाना: हम चले वतन की ओर। फिल्म: काशीनाथ (1943)
गायक: असित बरन। गीतकार: पंडित भूषण। संगीतकार: पंकज मलिक। (असित बरन पर ही फिल्माया गया गीत।)
आज का गीत-संगीत, रेल संगीत के पहले आलेख आई बहार आई बहार की थोड़ी सी याद दिलाता है। जैसे पहले गीत में पंकज मलिक ट्रेन के डब्बे के दरवाज़े पर खड़े होकर गाते हैं वैसे ही इस गाने में असित बरन कभी खिड़की कभी दरवाजे पर खड़े होकर मस्ती से गा रहे हैं: हम चले वतन की ओर।
दोनो ही गानों में पंकज मलिक का संगीत है। पंकज मलिक बहुत बड़े गायक भी थे पर उन्होंने उनके संगीत में अन्य गायकों को गाने का भरपूर मौका दिया। पंकज मलिक इस गाने को भी आसानी से गा सकते थे। लेकिन उन्होंने इसे गायक अभिनेता असित बरन से गवाया।
(असित बरन गायक अभिनेता)
और असित बरन (1913-1984) ने भी गाने को बहुत अच्छे से गाया था। आपको एकबारगी ऐसा लगेगा जैसे स्वयं पंकज मलिक ही इस गाने को गा रहे हैं। पूरा गाना उन्होंने मुस्कुराते और हंसते हुए सकारात्मक ऊर्जा के साथ रेल के डिब्बे में गाया है।
गाने में स्टीम इंजन और पटरी को तो नहीं दिखाया गया है। पूरे गाने में सिर्फ असित बरन और रेल के एक डब्बे को दिखाया गया है। गठरी और होल्डाल के भी दर्शन हो रहे हैं। गीत में रास्ते का वर्णन बहुत सुंदर किया गया है।
पिछले लेख 'पिया देस है जाना' में नायिका पी से मिलने के लिए गाना गाते हुए घर जा रही हैं और इस गाने में नायक नायिका से मिलने के लिए परदेस से घर लौट रहे हैं हंसते-हंसते गाना गाते हुए।
अब गाने के बोल पढ़ लेते है:
हम चले वतन की ओर। हम चले वतन की ओर।
खींच रहा है,खींच रहा है कोई हमको डाल के प्रेम की डोर।
हम चले वतन की ओर, हम चले वतन की ओर।
फूल खिले हैं नये-नये और नई कोंपलें आईं ।
फूल खिले हैं नये-नये और नई कोंपलें आईं ।
मस्त हवायें चलीं, डालियाँ झूम-झूम लहराईं।
नाच रहा है,नाच रहा है ताल-ताल पर मस्ताना मन मोर।
हम चले वतन की ओर, हम चले वतन की ओर।
आस किसी की पूरी होगी, हँसेंगे आज किसी के नैना।
रस टपकायेंगे कानों में किसी के मनुहर मीठे बैना।
आज किसी के सुख सुहाग का आज किसी के सुख सुहाग का, रहेगा ओर न छोर।
हम चले वतन की ,चले वतन की ,चले वतन की ओर।
हम चले वतन की ओर।
सन 40 के दशक के गानों की विशेषता थी कि सीधे-साधे प्रचलित शब्दों का गानों में अधिकतम प्रयोग किया जाता था। और इस गाने में भी गीतकार पंडित भूषण ने यही किया है।
फिल्म काशीनाथ में ही असित बरन ने और एक सुमधुर गीत गाया है:मैं जान गया पहचान गया। काशीनाथ (1943) के अन्य गीतों के लिंक नीचे दिए हैं:
बीत रही पूजा की घड़ियां। गायिका: राधारानी।
मेरी बगिया में कूके कोयलिया। गायिका: राधारानी।
रोती वृषभानु कुमारी। गायिका: राधारानी।
लो शुरू हुई इस बार। असित बरन और बेला मुखर्जी।
मनमोहन मुखड़ा मोड़ गए। गायिका: राधारानी।
पंडित भूषण का लिखा, पंकज मलिक का ही संगीतबद्ध किया और उत्पला सेन का गाया एक गाना भी याद आ रहा है। इसे फिल्माया गया है अख्तर जहां पर फिल्म My Sister (1944) में। आप भी सुनें: मैं इन फूलों संग डोलूं रे ।
पंडित भूषण का लिखा और आर सी बोराल का संगीतबद्ध किया असित बरन का ये घोड़ा छाप गीत भी अनुपम है: हम कोचवान प्यारे।
सारे गाने आज ही सुना दें!? और भी गम हैं जमाने में! आज का हो गया, बस! अब हम भी लौटते हैं वतन की ओर मतलब घर गृहस्थी की ओर! भिया राम!!
पंकज खन्ना
9424810575
मेरे कुछ अन्य ब्लॉग:
हिन्दी में:
तवा संगीत : ग्रामोफोन का संगीत और कुछ किस्सागोई।
ईक्षक इंदौरी: इंदौर के पर्यटक स्थल। (लेखन जारी है।)
अंग्रेजी में:
Love Thy Numbers : गणित में रुचि रखने वालों के लिए।
Epeolatry: अंग्रेजी भाषा में रुचि रखने वालों के लिए।
CAT-a-LOG: CAT-IIM कोचिंग।छात्र और पालक सभी पढ़ें।
Corruption in Oil Companies: HPCL के बारे में जहां 1984 से 2007 तक काम किया।
🚂_____🚂_____🚂____🚂____🚂_____🚂____