(37) ये दुनिया रेल निराली।
ये छुक छुक छुक छुक छुक, ये छुक छुक छुक छुक। चले नहीं रोके से रुकने वाली। ये दुनिया रेल निराली। बिन पहिए चलने वाली। नित उतरें और नित चढ़ें मुसाफिर कभी ना हो ये खाली।
धन वालों का दर्जा पहला। अपना एक सौ ग्यारह। थर्ड क्लास भाई! धन वालों का दर्जा पहला। अपना एक सौ ग्यारह! हंसी खुशी मिलजुलकर बैठें, बना रहे भाई चारा।
हम सब हैं पंख पखेरू और ये रेल हमारी डाली। ये दुनिया रेल निराली। बिन पहिए चलने वाली। नित उतरें और नित चढ़ें मुसाफिर कभी ना हो ये खाली।
चरित्र अभिनेता आगा गाने में जीवन और रेल की तुलना कर रहे हैं। एक प्रकार से ये भी एक हल्का फुल्का दार्शनिक रेल गीत ही है। लेकिन इसमें मौज मस्ती भी भरी पड़ी है। आगा राजेंद्र कृष्ण का लिखा गाना गाकर पूरे ग्रुप को जीवन की सच्चाइयों से परिचित करा रहे हैं। और दक्षिण भारतीय महिला अभिनेत्रियां भी मस्ती में मोहक अदाएं बिखेर कर कोरस गा रही हैं। गाने का असली मज़ा तो पढ़ने के बाद देखने-सुनने में ही है! गाना देखिए और सुनिए।
इस गाने के गीतकार हैं राजिंदर कृष्ण या राजेंद्र कृष्ण (1919-1987)। रेल संगीत में इनका जिक्र आज पहली बार हो रहा है। उनकी पहली पटकथा फिल्म जनता (1947) थी। गीतकार के रूप में उनकी पहली फिल्म जंजीर (1947) थी। उन्हें सबसे पहले मोतीलाल-सुरैया अभिनीत आज की रात (1948) की पटकथा और गीत लिखे।
फिल्म पायल (1957) के सभी गाने सुनने के लिए यहां क्लिक करें।
महात्मा गांधी की हत्या के बाद, राजेंद्र कृष्ण ने एक गीत लिखा था सुनो सुनो ऐ दुनियावालों, बापू की यह अमर कहानी। इस गीत को मोहम्मद रफी ने गाया था और हुस्नलाल भगतराम ने संगीत दिया था। उनके कुछ प्रमुख गाने सुनने के लिए ये वीडियो देखें।
राजेंद्र कृष्ण को हिंदी सिनेमा का सबसे अमीर लेखक माना जाता था। इसकी वजह यह थी कि उन्होंने घुड़दौड़ में सन सत्तर के दशक में 4,600,000 रुपए का जैकपॉट जीता था! ( ये कहानी नेट पर पढ़ी है। कितनी सही और कितनी गलत, माहिती नहीं है!)
राजिंदर कृष्ण ने फिल्म खानदान (1965) के गीत "तुम्ही मेरे मंदिर, तुम्ही मेरी पूजा" के लिए फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ गीतकार का पुरस्कार जीता।
आज के गीत का संगीत दिया है हेमंत कुमार ने। हेमंत कुमार ने रेल गीत 'आओ बच्चों तुम्हें दिखाएं...' और रेलगीत 'दिल मेरा है दीवाना' में भी संगीत दिया था। उन लेखों में इनके बारे में ज्यादा बात नहीं कर पाए थे। आज उनके संगीत के बारे में भी संक्षेप में कुछ बातें कर सकते हैं।
हेमंत कुमार (1920 - 1989), भारतीय संगीत निर्देशक और पार्श्व गायक , बंगाली/हिंदी फिल्म संगीत, रवींद्र संगीत और कई अन्य शैलियों के कलाकार थे। उन्हें "ईश्वर की आवाज़" के रूप में जाना जाता है।
लता मंगेशकर ने हेमंत कुमार को श्रद्धांजलि देते हुए हेमंत कुमार का ये गाना गाया था: तुम्हारा इंतजार है पुकार लो। इसमें लता ने गाने के शुरू में हेमंत कुमार के लिए जो कहा वो जरूर ध्यान से सुनें। इससे बढ़िया उनकी तारीफ नहीं हो सकती है। और क्या कहें उनके बारे में!?