(40) एक गाड़ी इधर से हमारी चली।



          एक गाड़ी इधर से हमारी चली।


गीत: एक गाड़ी इधर से हमारी चली। फिल्म: छोटे बाबू (1957)। गायिका: शमशाद बेगम और आशा भोंसले। हीरो: शेखर। हीरोइन: निम्मी। गीतकार: पी एल संतोषी। संगीतकार :मदन मोहन। निर्देशक: हरसुख भट्ट। निर्माता: एल एस अग्रवाल। (इस गाने का सिर्फ ऑडियो उपलब्ध है।)



जी ये रेल गीत ही है! शब्दों को ध्यान  से पढ़ेंगे या सुनेंगे तो आप पायेंगे कि इस रेल गीत में प्रेम यात्रा और रेल यात्रा की तुलना की जा रही है। गाने में रेल की आवाज़ और सीटी के संगीत का भी समावेश है। बस कमी सिर्फ वीडियो की है। रेल गीतों को देखने में मजा तो आता है! लेकिन रेल गीतों के ऑडियो भी कम नहीं होते। जब तक वीडियो नहीं मिलता है, ऑडियो के ही मजे लीजिए!


                      शमशाद बेगम (1919-2013)


इस गाने में मदन मोहन का मीठा संगीत है। तेज गति है। प्यारे लाल संतोषी ने गीत भी बढ़िया लिखा है। शमशाद बेगम और आशा भोसले की जानदार आवाज़ है। गाना यहां से  भी सुन सकते हैं। गाने के बोल पढ़ लीजिए:


एक गाड़ी इधर से हमारी चली एक गाड़ी उधर से तुम्हारी चली। एक गाड़ी इधर से तुम्हारी चली टकरायी तो जालिम ये दुनिया हंसी और कहने लगी:
क्या दिलों के टकरा जाने को मोहब्बत कहते हैं लाला।
दिलों के टकरा जाने को मोहब्बत कहते हैं लाला। 
मोहब्बत कहते हैं लाला मोहब्बत कहते हैं लाला।
दिलों के टकरा जाने को मोहब्बत कहते हैं लाला।

बड़े बन ठन के हम निकले, बड़े सज धज के वो निकले।
बड़े बन ठन के हम निकले, बड़े सज धज के वो निकले।
नजर के प्लेटफॉर्म पर कुछ वो फिसले, कुछ हम फिसले।
नजर के प्लेटफॉर्म पर कुछ वो फिसले, कुछ हम फिसले।

हुई टक्कर जो आपस में तो बोले देखने वाले।
'कि गल ऐ'... 'सूं थयो'... 'ओय काए झाला'....! 
दिलों के टकरा जाने को मोहब्बत कहते हैं लाला।
दिलों के टकरा जाने को मोहब्बत कहते हैं लाला।

अजब गाड़ी है ये बाबू अजब इसका चलाना है। 
अजब गाड़ी है ये बाबू अजब इसका चलाना है।
मुसाफिर जो भी आ बैठे कहे उसको दीवाना है।
मुसाफिर जो भी आ बैठे कहे उसको दीवाना है। 
ना पटरी है ना स्टेशन है जहां टकराए जंक्शन है। 
ना ड्राइवर है ना  गार्ड है ना बाबू है टिकट वाला।
दिलों के टकरा जाने को मोहब्बत कहते हैं लाला। 
दिलों के टकरा जाने को मोहब्बत कहते हैं लाला।

अरे ओ देखने वालों इसको चैन से  देखो।
अरे ओ देखने वालों इसको चैन से  देखो।
ये गाड़ी चल पड़ी देखो इधर देखो इधर देखो।
यहां सीटी नहीं बजती यहां झंडी नहीं हिलती।
वहीं रुक जाता है इंजन दिखा जो दाल में काला।

दिलों के टकरा जाने को मोहब्बत कहते हैं लाला।
दिलों के टकरा जाने को मोहब्बत कहते हैं लाला। 
दिलों के टकरा जाने को मोहब्बत कहते हैं लाला।

शायद ये फिल्म की हीरोइनों निम्मी और  लीला मिश्र  या हेलेन पर फिल्माया गया होगा। दो सखियों  की मस्ती गाने में सुनाई जरूर दे रही है। उनकी बात समझ भी आ रही है: दिलों के टकरा जाने को मोहब्बत कहते हैं लाला!

कोई कविता नहीं कोई शायरी नहीं कोई चांद/गगन/तारे/झील/ताल/नदी/समुद्र आदि की उपमा नहीं;  बस सीधे, सादे, सरल शब्दों में पी एल संतोषी ने मोहब्बत की परिभाषा गढ़ दी है: दिलों के टकरा जाने को मोहब्बत कहते हैं लाला! 

सोच में पढ़ गए? मोहब्बत और कयामत एक ही चीज़ है, बावा!

चालीस और पचास के दशकों में बहुत सारे रेल गीतों में रेलवे की शब्दावली का उपयोग किया गया है जैसे लेख क्रमांक (23) हमारे दिल के स्टेशन पे (फिल्म: फिफ्टी-फिफ्टी -1950) और लेख क्रमांक (24) दिल का ये इंजन सीटियां मारे  (फिल्म: उस्ताद पेड्रो-1951) को पढ़ें। इन दोनों और आज के गीत में भी रेलवे के शब्दों का बहुत अधिक उपयोग किया गया है। तीनों ही गीतों के वीडियो अभी तक उपलब्ध नहीं हैं। उम्मीद है  कि इनके वीडियो भी सामने आएंगे। पर इनके ऑडियो भी अच्छे लगते हैं।

अगर आपको ये गीत अच्छे न भी लगें तो ये जरूर सोचें कि यहां हमारा  उद्देश्य रेल संगीत का इतिहास लिखना भी है। और इतिहास हमेशा मनोरंजक होगा ये जरूरी नहीं है! लेकिन अगर आप पुराने गानों, पुराने फिल्मों के प्रेमी और रेल प्रेमी हैं तो आप आनंद ढूंढ ही लेंगे। रेल यात्रा हो, संगीत यात्रा हो या जीवन यात्रा--सब आनंद ही आनंद है!

मदन मोहन के प्रशंसकों को  फिल्म छोटे बाबू के ये गीत जरूर अच्छे लगेंगे:

तेरी चमकती आंखों के आगे। तलत महमूद और लता।
तुम मेरे स्वामी। मन्ना डे और लता मंगेशकर।


आप एक बार फिर से अभी तक लिखे गए सभी ब्लॉग पोस्ट्स को संक्षेप में पढ़ें : रेल संगीत पर अब तक लिखे गए लेख क्रमानुसार। आप को  रेल के और भारतीय रेल संगीत के इतिहास पर जरूर गर्व होगा! आप को आपकी पसंद के कुछ रेल गीत तो मिल ही जायेंगे:)



पंकज खन्ना
9424810575

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हिन्दी में:
तवा संगीत : ग्रामोफोन का संगीत और कुछ किस्सागोई।
ईक्षक इंदौरी: इंदौर के पर्यटक स्थल। (लेखन जारी है।)

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Epeolatry: अंग्रेजी भाषा में रुचि रखने वालों के लिए।
CAT-a-LOG: CAT-IIM कोचिंग।छात्र और पालक सभी पढ़ें।
Corruption in Oil Companies: HPCL के बारे में जहां 1984 से 2007 तक काम किया।


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