(24) दिल का ये इंजन सीटियां मारे (1951)
पंकज खन्ना
9424810575
रेल संगीत-परिचय: ब्लॉग सीरीज को अच्छे से जानने के लिए।
गाना: दिल का ये इंजन सीटियां मारे। फिल्म: उस्ताद पेड्रो (1951)। गायक: चितलकर। गायिका: लता मंगेशकर। गीतकार: राजा मेंहदी अली खान। संगीतकार : सी रामचंद्र। उस्ताद पेड्रो के सभी गाने।
आज के गाने के बोल:
दिल का ये इंजन सीटियाँ मारे।
आजा सजन आजा लाइन क्लीयर है।
दिल का ये इंजन सीटियाँ मारे।
आजा सजन आजा लाइन क्लीयर है।
आँखों का सिग्नल करता है इशारे।
आजा सजन आजा लाइन क्लीयर है।
जवानी की तूफान मेल छुक छुक करे है।
उस में एक गोरी बैठी आहें भरे है।
जवानी की तूफान मेल छुक छुक करे है।
उस में एक गोरी बैठी आहें भरे है।
कह रहा है दिल अरमान भरा रे।
आजा सजन आजा लाइन क्लीयर है।
कह रहा है दिल अरमान भरा रे।
आजा सजन आजा लाइन क्लीयर है।
दिल का ये इंजन सीटियाँ मारे।
आजा सजन आजा लाइन क्लीयर है।
गार्ड का दिल गोरी तुम पे है आ गया।
मुझको वो दगा देके ब्रेक में छिपा गया।
गार्ड का दिल गोरी तुम पे है आ गया।
मुझको वो दगा देके ब्रेक में छिपा गया।
गार्ड को हमने दिया है भगा रे।
आजा सजन आजा लाइन क्लीयर है।
गार्ड को हमने दिया है भगा रे।
आजा सजन आजा लाइन क्लीयर है।
दिल के ये इंजन सीटियाँ मारे।
आजा सजन आजा लाइन क्लीयर है।
दस बजे मैं कैसे खेलूँ नखरों का खेल।
दस बजे मैं कैसे खेलूँ नखरों का खेल।
ग्यारह बजे हो जाएगा तेरा मेरा मेल।
ग्यारह बजे हो जाएगा तेरा मेरा मेल।
दिल की घड़ी से तू ग्यारह बजा रे।
आजा सजन आजा लाइन क्लीयर है।
दिल से मेरे दिल तू आके मिला रे।
आजा सजन आजा लाइन क्लीयर है।
दिल का ये इंजन सीटियाँ मारे।
आजा सजन आजा लाइन क्लीयर है।
पिछले रेल गीत के समान इस रेल गीत में भी रेलवे शब्दावली का भरपूर उपयोग किया गया है, जैसे: 'दिल का इंजन सीटियां मारे', 'लाइन क्लियर है', 'आंखों का सिग्नल', 'जवानी की तूफान मेल छुक छुक करे है' और 'गार्ड का दिल'!
इस गाने में भी हीरो हीरोइन ने भारी इश्कबाजी कर रखी है: दिल का ये इंजन सीटियाँ मारे। आजा सजन आजा लाइन क्लीयर है! गजब फ्लर्टिंग है!
बस अंतर इतना है कि पिछला रेलगीत एक लगभग अनजान टीम द्वारा ऐसी फिल्म के लिए बनाया गया था जो कभी बन ही न सकी या शायद कभी रिलीज ही नहीं हो पाई!
आज का ये गीत लता, सी रामचंद्र, और राजा मेंहदी अली खान जैसी अनुभवी, सफल और प्रसिद्ध टीम द्वारा बनाया गया है। अपने जमाने में खूब चला भी होगा। जवानों, मनचलों और टपोरियों को विशेषतः अच्छा लगा होगा! लेकिन अब ये लगभग भुला दिया गया गाना है।
इस गाने का भी वीडियो उपलब्ध नहीं है। सिर्फ ऑडियो से ही काम चलाना पड़ेगा। ऑडियो का भी एक फायदा होता है। आप जैसी चाहो वैसी पिक्चर मन में बना लो। नहीं जमे तो फिर दूसरी या तीसरी बना लीजिए!
सी रामचंद्र और लता ने इतने अच्छे गाने गाए हैं कि उनके कई ऐसे बेहतरीन गीत पीछे रह गए। सी रामचंद्र के बनाए हुए कुछ अद्भुत हास्य गीत इस प्रकार से हैं: आना मेरी जान संडे के संडे, गोरे गोरे ओ बांके छोरे, ईना मीना डीका और मेरे पिया गए रंगून। अब ऐसे अमर गानों के बीच में आज का गीत दिल का ये इंजन सीटियां मारे थोड़ा सा पीछे रह जाता है।
लेकिन ये एक याद रखने लायक मधुर रेल गीत है। सबसे अधिक रेल गीतों में संगीत सी रामचंद्र का ही है। अभी तक सी रामचंद्र के संगीत में बने निम्नलिखित रेल गीत हम कवर कर चुके है: पिया देस है जाना, जवानी की रेल चली जाए रे, चले चक चक चक चक रेल। और अभी इनके बहुत सारे और रेलगीत आना बाकी हैं। पचास के दशक की तो अभी बस शुरुआत ही हुई है!
आज का गाना (दिल का ये इंजन सीटियाँ मारे) कुछ ऐसा है कि रेल की सीटियों पर लिखे कुछ शेर सुनाने की इच्छा हो रही है:
जाने किस की आस लगी है जाने किस को आना है।
कोई रेल की सीटी सुन कर सोते से उठ जाता है।-साबिर वसीम
सुब्ह-ए-काज़िब की हवा में दर्द था कितना 'मुनीर'। रेल की सीटी बजी तो दिल लहू से भर गया। -मुनीर नियाज़ी।
रुख़्सत हुए तो रेल की सीटी में देर तक ऐसा लगा कि जैसे वफ़ा चीख़ती रही। -सय्यद अनवर अहमद।
रेल की गहरी सीटी सुन कर रात का जंगल गूँजा होगा। -नासिर काज़मी।
हो गया है ये मकाँ ख़ाली सदाओं से मगर ज़ेहन अब तक गूँजता है रेल की सीटी के साथ। -इफ़्तिख़ार नसीम ।
हम-उम्र दोस्तों, आपके दिल का इंजन सीटियां मारता रहे लेकिन आपको लाइन कभी क्लियर न मिले!
पंकज खन्ना
9424810575
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