(21) रेल में जिया मोरा सन् नन् होए रे।(1950)
पंकज खन्ना 9424810575 रेल संगीत-परिचय : ब्लॉग सीरीज को अच्छे से जानने के लिए। ब्लैक एंड व्हाइट फिल्में और गाने क्यों देखें या सुनें!? रेल संगीत पर अब तक लिखे गए लेख क्रमानुसार। आज का गीत है रेल में जिया मोरा सन नन होए रे ! फिल्म का नाम है आंखें (1950)। आज तक आंखें नाम की चार फिल्में आ चुकी हैं। ये वाली 'आंखें' सबसे पहले आई थी। इन फिल्म वालों की आदत हो गई है हम लोगों को आंखें दिखाने की! गायक कलाकार हैं राज खोसला। उन्होंने बहुत बढ़िया गाया है ये गीत। जी, ये वही राज खोसला हैं जो जाने माने निर्माता निर्देशक हैं। आए तो ये गायक बनने ही थे पर बन गए निर्माता निर्देशक! इसका उत्तम संगीत दिया है मदन मोहन ने। ये मदन मोहन की पहली फिल्म थी। जानते हैं उनके असिस्टेंट कौन थे!? राज खोसला! बाद में राज खोसला की अधिकतर फिल्मों में संगीत मदनमोहन का ही होता था! (वैसे मदन मोहन ने स्वयं तो गिने-चुने 8-10 गाने ही गाएं है पर इसी पहली फिल्म में शमशाद बेगम के साथ एक बहुत बढ़िया युगल गीत गाया है: हमसे न दिल को लगाना मुसाफिर ।) ' रेल में जिया मोरा सन नन होए रे ' ...